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steefat टीका श०३१ उ. १ सू०१ चतुर्युग्मनिरूपणम्
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भगवानाह - 'गोमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चनारि खुड्डा जुम्मा पद्मा' चत्वारः क्षुद्रा युग्माः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा ' तद्यथा 'कडजुम्मे' कृतयुग्म नामको राशिविशेषः । ' तेयोए' त्र्योजः 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्मः 'कलियोए' कल्योजः । ' से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ' तत्केनार्थेन सदन्त । एवमुकते 'चार खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता' चत्वारः क्षुद्रा युग्माः मज्ञप्ताः 'तं जहा' तद्यथा 'कडजुम्मे जाब कलिभोगे' कृतयुग्मो यावत् कल्योजः, अत्र यात्रत्पदेन ज्योज द्वापरयुग्मयोः संग्रहः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जे णं रासी चक्करणं अवहारेणं अवहीरसाणे चउपज्जबसिए' यः खलु राशि: समुदायः चतुष्केणापहारेण चतुःसंख्यया विभज्यमानः चतुः पर्यवसितः चतुरवशिष्टो भवेत् 'से त्तं खुड्डा गरुडजुम्मे' स एषः क्षुल्लक कृतयुग्मः ' जेणं रासी चउक्केण अवहारेणं अवहीरमाणे ति पज्जवसिए सेत्तं खुड्डाग आदि संख्यावाली राशि क्षुल्लक कृतयुग्म है। उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं- 'गोधमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता' हे गौतम! क्षुद्रयुग्मराशि चार प्रकार की कही गई है - 'त' जहा' जैसे - कडजुम्मे' 'कृतयुग्म 'तेयोए' ज्घोज 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्म, 'कलियोए' और कल्पोज, 'से केणट्टेणं अंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता' हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि क्षुद्रयुग्म चार प्रकार के कहे गये हैं ? और वे ऐसे आपने बतलाये हैं- कृतयुग्म यावत् कल्यो । यहां यावत् पद से त्र्योज और द्वापरयुग्म का ग्रहण हुआ है । उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं - 'गोधमा ! जे णं रासी चक्कणं अवहारेण अवहीरमाणे चउपज्जवलिए' हे गौतम ! जिमराशि में से चार चार का अपहार करते-करते अन्त में चार बचे रहे ऐसी वह संख्या क्षुद्र कृतयुग्म कही गई है ।
या प्रश्नना उत्तरसां प्रभुश्री हे छे !-'गोयमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता' हे गौतम! क्षुद्रयुग्भराशी थार अारनी ऐस छे, 'त' जहा' ते भा प्रभा छे.- 'कडजुम्मे' कृतयुग्म 'वेयोए' यो 'दावरजुम्मे' द्वापरयुग्म 'कलियोए' भने ४स्था४' 'से केणट्टेणं भंते ! एव बुवइ चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता' हे भगवन् આપ એવું શા કારણથી કહેા છે કે ક્ષુદ્રયુગ્મ ચાર પ્રકારના કહ્યા છે ? અને તે મૃતયુગ્મ ચૈાજ દ્વાર૫ર અને યાવત્ કથ્થૈાજ સુધી આપે કહયા પ્રમાણે ના डेला है. मा प्रश्नना उत्तरमां अनुश्री उडे छे - 'गोयमा ! जे णं रासी चक्करणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए' हे गौतम! ने राशीभां यार यारने। भय હાર કરતાં કરતા છેવટે ચાર ખચે એવી સખ્યાને ક્ષુદ્રકૃતયુગ્મ કહેવામાં આવેલ છે.