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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२६ उ.१ सू०१ बन्धस्वरूपनिरूपणम् धंधी बंधइ ण बंधिस्सइ२। पुच्छा, गोयमा! अस्थेगइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ१। अस्थैगइए-एवं चउभंगो । कण्हलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा, गोयमा! अत्यंगइए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगइए बंधी बंधइ ण बंधिस्लइ एवं जाव पम्हलेस्से । सम्वत्थ पढमबितियभंगा। सुकलेस्ले जहा सलेस्से तहेव चउमंगो। अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं पंधी पुच्छा, गोयमा! बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ २। कण्हपक्खिए णं भंते ! जीवे पावं कसं पुच्छा, गोयमा! अत्थे. गइए बंधी० पढम वितिया भंगा। सुक्कपक्खिए णं भंते ! जीवे पुच्छा, गोयमा ! चउसंगो भाणियब्वो ।३। सम्मदिट्री णं चत्तारि भंगा। मिच्छादिट्री पढमबितिया भंगा सम्ममिच्छादिट्रीणं एवं चेव ४॥ नाणीणं चत्तारि भंगा। आमिणिबोहियनाणीणं जाव मणपज्जवनाणीणं चत्तारि भगा। केवलनाणीणं चरमो भंगो जहा अलेस्साणं ५। अन्नाणीणं पढमबितिया। एवं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीण वि ६॥ आहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिरगहसन्नोवउत्ताणं पढमवितिया। नो सन्नोवउत्ताणं चत्तारि७॥ सवेदगाणं पढमवितिया। एवं इत्थिवेयगा पुरिसवेयगा पुरिसनपुंसगवेयगा वि। अवेदगाणं चत्तारि ८॥ सकसाईणं चत्तारि. कोहकसाई णं पढमवितिया भंगा। एवं माणकसाईस्स वि, लोभकराईस्स चत्तारि भंगा। अकसाईणं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए बंधी न बंधइ बंधिस्लाइ३, अत्थेगइए बंधी ण बंधइ ण बंधिस्सइ४९॥ सजोगिस्स चउभंगो । एवं सणजोगिस्स वि, वइजोगिस्स वि,
SR No.009326
Book TitleBhagwati Sutra Part 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages708
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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