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भगवतीस्त्रे • युग्माः कदाचित्-चतुष्कापहारेण चत्वार एवाऽवशिष्टा भवन्तीति । 'जाव सिय कलि
ओगा' यावत्स्यात्कोजाः अत्र यावत्पदेन स्यात्-व्योजाः स्याद्-द्वापरयुग्माः। कदाचित्-चतुष्कापहारे द्विशेषत्वेन द्वापरयुग्मा,, कदाचित्-चतुष्काऽप्रहारेणैक शेपत्वात्-कल्योजा इति । 'विहाणादेसेणं' विधानादेशेन-भेदरकारेण-श्कैकविव क्षया-इत्यर्थः 'नो कडजुम्मा' नो कृतयुग्माः चतुष्कापहारे चतुःशेषाऽभावात् । 'नो तेओगा-नो व्योजाः त्रिशेषाभावात्, 'नो दावरजुम्मा' नो द्वापरयुग्माः को मिला करके नारक जीव कदाचित् कृतयुग्मरूप भी होते हैं 'जाव. सिय कलि भोगा' यावत् कदाचित् वे कल्पोजरूप भी होते हैं । जब सामान्य रूप से सब गिने जाते हैं-तब वे कृतयुग्मरूप भी हो सकते हैं क्यों कि जघ नारकराशि में से चार चार का अपहार किया जाता है तो अन्त में चार के अवशेष रहने से वे कृतयुग्मरूप भी हो सकते हैं ऐसा कहा जाता है । तथा जय चार चार से अपहार करने पर तीन की अवशेषता रहती है तो वे व्योजरूप भी हो सकते हैं, तथा जब चार २ के अपहार से वे दो की संख्या में वचते हैं तो वहां द्वापर. युग्मता आनी है और जब एक ही संख्या अवशिष्ट रहती है तब उनमें कल्योजरूपता भी आती है। 'विहाणादेसेणं' और जब एक एक की वहाँ विवक्षा की जाती है तो उस विवक्षा से वे 'नो कडजुम्मा' कृतयुग्मरूप नहीं होते हैं क्योंकि चार से अपहृत करने पर एक ही बाकी रहता है चार शेष नहीं रहते हैं इसलिये वहां कृतयुग्मरूपता नहीं आती है। तीन शेष के अभाव में वहां योजरूपता, तथा विशेष न्यथा मधाने भगवान ना२४ व १२ कृतयुम ५५ हाय छे. 'जाव सिय कलिओगा' यावत् हायित् तसा ध्यास ३५ ५५५ साय छे. न्यारे , સામાન્યપણાથી બધાને ગણવામાં આવે છે, ત્યારે તેઓ કૃતયુગ્મ રૂપ હાય
છે, કેમકે જ્યારે નારકાશિમાં ચાર ચારને અપહાર કરવામાં આવે છે, તે , છેવટે ચાર બાકી રહેવાથી તેઓ કૃતયુગ્મ રૂપ હોય છે. તેમ કહેવામાં આવે - છે. તથા જ્યારે ચાર ચારને અપહાર કરવાથી ત્રણ બાકી રહે છે, તે તેઓ - ચ્યાજ રૂપ પણ હોય છે. તથા જ્યારે ચારને અપહાર કરતાં બે સંખ્યા વધે
છે, તે દ્વાપરયુગમારું આવે છે. અને જ્યારે એક સંખ્યા વધે છે, ત્યારે કાજपा ५ मावे छे. 'विहाणादेसेणं' मन से सनी त्यो विवक्षा ४२वामा भाव छ, त पानी विवक्षाथी तसा 'नो कडजम्मा' कृतयुम्भ३५ जाता। નથી. કેમકે-ચારથી બહાર કહાડતાં એક જ બાકી બચે છે, ચાર શેષ છે , રહેતા નથી, તેથી ત્યાં કૃતયુમ રૂપપાસું આવતું નથી. ત્રણ શેષના અભાવથી , त्या 'नो वेओगे' या१ ३५५ मावत नथी भो यार। अ५७२ ४२ता