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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२५ उ. ३ सू०७ प्रकारान्तरेण श्रेणीस्वरूपनिरूपणम् ७०९ यावत् 'सूत्रार्थः खल्ल प्रथमः द्वितीयो नियुक्ति मिश्रितो भगितः । तृतीयश्च निश्वशेषः, एप विधिर्भवति अनुयोगे ॥१-७॥
टीका - 'इणं भंते ! सेढीओ पन्नत्ताओ' ऋति खलु भदन्त ! श्रेणयः ? आकाशप्रदेशस्य पक्तयः प्रज्ञप्ताः, इति प्रश्नः ? भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम! 'सत्त सेढीओ पन्नत्ताओ' सप्त श्रेणयः प्रज्ञप्ता 'तं जहा ' - तद्यथा यत्र खल जीवा पुद्गलाश्च सञ्चरन्ति तादृशी आकाशप्रदेशानां पङ्क्तिः श्रेणिः सासप्तधा भिद्यते । तत्र - प्रथमा - 'उज्जुआयया' ऋज्वायता, ऋजुश्च - सरला आयता - दीर्घेति ऋज्यायता, यथा जीवपुद्गला ऊर्ध्वलोकादेरधोलोकादौ सारल्येन गच्छनवीति १ । द्वितीया - 'एगओ वंका' एकतो वक्रा, एकत: - एकस्यां दिशि चक्रा,
अब सूत्रकार प्रकारान्तर से श्रेणियों का निरूपण करते हैं - 'कह पणं भंते ! सेढीओ पण्णत्ताओ' इत्यादि सूत्र ७ ।
टीकार्थ- श्रीगौतमस्वामीने प्रभुश्री से ऐसा पूछा है - 'कह णं भंते ! सेढीओ पण्णत्ताओ' हे भदन्त । श्रेणियां कितने प्रकार की कही गई है ? आकाशप्रदेश की पङ्क्ति का नाम श्रेणी है यह पीछे प्रकट किया जा चुका है। इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं - गोयमा ! सत्त सेढीओ पण्णत्ताओ' हे गौतम! श्रेणियाँ सात कही गई है - 'तं जहा' जैसे जहां पर जीव और पुल संचार करते हैं ऐसी जो आकाश प्रदेशों की पक्ति है श्रेणि है । वह सात प्रकार की है इनमें प्रथमा - 'उज्जु आयया ' वह ण है कि जिसके द्वारा जीव और पुद्गल ऊर्ध्वलोकादि से अधोलोकादि में सरलता से जाते हैं । इस श्रेणि का नाम ऋज्वायता श्रेणि है । द्वितीया श्रेणि 'एगओ वंका' एकतो का है इस श्रेणि द्वारा हवे सूत्रार प्रारान्तरथी श्रेशियो निइयरे छे. 'इणं भते | सेढीओ पन्नत्ताओ' त्याहि
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टीमर्थ - श्री गौतमस्वाभी अनुश्रीने मे पूछे छे है- 'कह णं भंते! सेटीओ જુગત્તાૉ હૈ ભગત્રમ્ શ્રેણિયા કેટલા પ્રકારની કહી છે ? આકાશ પ્રદેશની પ`ક્તિનું નામ શ્રેડ્ડી છે. તે પહેલા બતાવેલ છે. આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે'गोमा ! सत्त सेढीओ पण्णत्ताओं' हे गौतम । श्रेलिया सात डेल छे. 'तंज'इ' ते या अभा જયાં જીવ અને પુગલ સ’ચાર કરે છે, એવી આકાશ પ્રદેશની જે પક્તિ છે, તે શ્રેણી સાત પ્રકારની છે. તેમાં પહેલી સત્તુ आयया' से श्रेणी - नाथी पाने युद्धस वसेो विगेरेभांथी अध લેાક વિગેરેમાં સરલપણાથી જાય છે, તે શ્રેણિનું નામ ઋવાયત શ્રેણી છે जील श्रेणी ‘एगओ वंका’ 'शेक्तः वडा-प्राडी छे, आा श्रेणी द्वारा छाने युद्धले
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