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भगवती सूत्रे
यामनुष्यापेक्षया शर्करामभाविया मनुष्याणां शरीरावगाहनायां वैचक्षण्यमिति, तथा - 'ठिई जहन्नेणं वासवृत्तं उकोसेणं पुण्यकोडी' स्थितिर्जघन्येन व पृथक्लम् द्विवर्षादारभ्य नववर्षपर्यन्तम् तथोत्कर्षेण पूर्वकोटि, रत्नप्रभागमे स्थितिर्जघन्येन मासपृथक्त्वरूपा कथिता उत्कृष्टतः पूर्वकोटिरिहतु जघन्येन वर्ण पृथक्त्वम् उत्कृष्टतस्तु पूर्वकोटिरेवेति जघन्यस्थित्यंशे भेदात् उभयोः प्रकरणयो] वैलक्षण्यम् । 'एवमणुबंध वि' एवम् स्थितिनदेव अनुबन्धोऽपि जय येन वर्ष पृथक्त्वं यपंदारभ्य नववर्ष पर्यन्तम् उत्कृष्टतः पूर्वकोटिः स्थितिरू पादनुवन्वस्य, पूर्व प्रकरणे जघन्येन अनुवन्धः मासपृयक्त्वरूपः कथितः इह तु वर्ष पृथक्त्वरूप इति भवत्येव उभयत्रापि वैलक्षण्यमिति । 'सेस तं चेत्र' शेषं तदेव अवगाहनास्थि की है, इस प्रकार यह अन्तर रत्नप्रभा में जाने वाले और शर्कराप्रभा में जानेवाले मनुष्यों के शरीरावगाहना में होता है- 'ठिई जहन्नेणं वास पुहुतं उक्को सेणं पुचकोडी' रत्नप्रा में जानेवाले मनुष्यों की स्थिति जघन्य से मास पृथक्त्वकी होती है और उत्कृष्ट से वह एक पूर्वकोटि की होती है और शर्क राप्रभा में जानेवाले मनुष्यों की स्थिति जघन्य से वर्ष पृथक्त्व की होती है और उत्कृष्ट से एक पूर्वकोटि की होती है। इस प्रकार यह स्थिति की अपेक्षा अन्तर है । ' एवं अणुबंधो वि' स्थिति के जैसा अनुबन्ध में भी अन्तर है- जघन्य से वह वर्ष पृथक्त्व को हैं और उत्कृष्ट से पूर्वकोटि का है रत्नप्रभा में यह जघन्य से मासपृथक्त्व का और उत्कृष्ट से एक पूर्वकोटि का है। इस प्रकार यह अनुबन्ध की अपेक्षा अन्तर हैं । 'सेसं तं चेव' इन बातों के अतिरिक्त और सब
છે. આ રીતે આ જુાઈ રત્નપ્રભામાં જવાવળા અને શર્કરા પ્રભામાં જવા वाजा मनुष्योना शरीरनी अवगाहना सभधभां उस छे तथा 'ठिई जहन्नेणं वासपुहुत्त उक्कोसेणं पुत्रकेोडी' शर्करा प्रलाभां भवावाज मनुष्योनी स्थिति જઘન્યથી વર્ષો પૃથક્ત્વની હોય છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી એક પૂર્વ કાટીની છે. રત્નપ્રભામાં જવાવાળા મનુષ્યાની સ્થિતિ જઘન્યથી માસ પૃથની હોય છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી તે પૂર્વ કાટિની છે. આ રીતે આ સ્થિતિ સંબંધી જુદાપણું छे, ‘एवं अणुबधा वि०' स्थितिनी से अनुमधसां पशु अंतर छे, तेभ्ध ત્યથી વધુ પૃથક્ષનુ છે. અને ઉત્કૃષ્ટથી પૂ`કાટી સુધીનું છે. રત્નપ્રભામાં તે જઘન્યથી માસ પૃથનું અને ઉત્કૃષ્ટથી એક પૂર્વ કેાટી' છે. એજ રીતે આ मनुषध समधी कुछ पशु छे. 'सेसं तं चेत्रे' मा उर्थन शिजय मीनु