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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२२ व.२ सू.१निम्यानादिवनस्पतिजीवोत्पत्यादिकम् २९५
टीका-'अह मंते !" अथ भदन्त ! 'निबंबजंबू, निम्बाम्र-जम्बू निम्बो वृक्षस्तिक्ततागुणविशिष्टः आम्रो रसालः जम्ब् वृक्षविशेषः 'कोसंब' कोशम्बो बन्यो वृक्षविशेषः 'ताल' तालो वृक्षविशेष एवम् 'अंकोल्ल' अंकोला-कङ्कोलापरनामकः 'पीलु' पीलुवक्षविशेष: 'सेच सेलको वृक्षविशेष: 'सल्लई' सल्लकी-कण्टकवान् वृक्षविशेषः 'मोथई' मोचकी 'माळय' मालक: 'बउल' बकुला 'पलास' पलाशः 'करंज' करञ्ज', एते वृक्षविशेषाः 'पुत्तंजीव' पुत्रजीवका 'पित्तोझिया' इति लोकमसिद्धः 'रिट्ठ' अरिष्टः 'अरीठा' इति लोकमसिद्धः 'विहेलग' विभीतक:'बहेडा' इति प्रसिद्धः 'हरितग' हरीतकी 'भल्लाय' भल्लाता-भेला इतिलोकप्रसिद्धः 'उमरिय' उबें भरिका 'खोरणी' क्षीरणी-रायण' इति लोकपसिद्धम्___टीकार्थ-हे भदन्त ! नीम, आम, जामुन, कोशंव, ताल, अंकोल्ल, पीलु, सेलुक, सल्लकी, मोचकी, मालुक, पलास, करंज, पुत्रंजीवक, अरिष्ट-अरीठा, बहेरा, हरड, भिलामा उवे भरिका, क्षीरिणी धाषिणी -धातकी, प्रियाल-विरोजी, पूतिनिम्यकरज, सहक, पासिक, सिंशपा, अशन, पुन्नाग, नागवृक्ष, श्रीपर्ण और अशोक ये जो वृक्ष हैं सो इन वृक्षों के मूलरूप से जो जीव उत्पन्न होते हैं वे वहाँ कहां से आकरके उत्पन्न होते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं-हे गौतम ! यहां इसके उत्तर को प्राप्त करने के लिये मूलादिक समस्त उद्देशक तालवर्ग के जैसा कहना चाहिये, कङ्कल वृक्ष का नाम ही अङ्कोल है सल्लकी काटों वाला एक वृक्षविशेष होता है। जिसे भाषा में पित्तोझिया-या अबाझारा कहा जाता है वही पित्तंजीव शब्द से यहाँ लिया गया है अरीठा का नाम रिष्ट है। क्षीरिणी वृक्ष
Ant-3 मवान् नीम. दामी, माम-नमुश, ता3, Area, पीयु, से, साडी, मायी, भालु, पलाश, ४२°४, १४, माट मरी8t, माI, ७२, मामा, 6'मा क्षारिए, पानिएधाती, प्रियास, विशंल. पूतिनि ४२११, स, यासिर, शिशपा, अशन પુનાગ, નાગવૃક્ષ, શ્રીપણું અને અશોક આ વૃક્ષના મૂળ રૂપે જે જીવે ઉત્પન્ન થાય છે, તેઓ ત્યાં કયાંથી આવીને ઉત્પન્ન થાય છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ ગૌતમ સ્વામીને કહે છે કે-હે ગૌતમ! અહિયાં આ પ્રશ્નને ઉત્તર મેળવવા માટે મૂલ વિગેરે સઘળા ઉદેશાઓ તાલ વર્ગ પ્રમાણે સમજવા. ક કેલવૃક્ષનું નામ જ અંકલ છે. સલકીએ કાંટાવાળા વૃક્ષ વિશેષનું નામ છે, જેને ભાષામાં પિત્તોઝિયા કહેવામાં આવે છે, તેને જ અહિયાં પિત્ત જીવ શબ્દથી કહેલ છે. અરિકાનું નામ રિષ્ફ છે. સિરિણું વૃક્ષને ભાષામાં