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________________ । १९४ भगवतीसो चुलसीईए य नो चुलसीईए य समज्जिया' सर्वस्तोकाः सिद्धाः चतुरशीत्या च नो चतुरशीत्या च समर्जिताः, एतदपेक्षया 'चुलसीइसमज्जिया अणतगुणा' चतुरशीतिसमनिताः सिद्धा अनन्तगुणा अधिका भवन्ति, 'नो चुलसीइसमज्जिा अणंतगुणा' एतदपेक्षया नो चतुरशीतिसमजिताः सिद्धा अनन्तगुणा अधिका भवन्ति । सर्वेभ्योऽल्पीगांसः तृतीयविकल्पविकल्पिताः सिद्धाः, सर्वेभ्योऽधिका द्वितीविकल्पविकल्पिताः सिद्धाः, पथमविकल्लविकल्पितास्तु अपेक्षया अल्पा अपि अपेक्षया अधिका अपीति ।। 'सेवं भंते ! से भंते ति जाब विहरइ' तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति यात्र द्विहरति, हे भदन्त ! पटकादिविपये यद्देवाखिद्धा चुललीईए य नो चुललीईए य समज्जिया' हे गौतम! सब से कम सिद्ध एक चतुरशीतिसे और एक नो चतुरशीति से समर्जित हैं अर्थात् तृतीयविकल्पवाले सिद्ध सब से कम हैं, इनकी अपेक्षा वे सिद्ध अनन्तगुण हैं जो 'चुलसीइसमज्जिया' इस प्रथम विकल्प वाले हैं और इनशी अपेक्षा वे सिद्ध अनन्तगुणें हैं जो 'नो चुल सीइसज्जिया' इल द्वितीय विकल्पवाले हैं । इस प्रकार सब से कम तृतीयविकल्पवाले सिद्ध हैं। द्वितीयविकल्पवाले सिद्ध सबसे अधिक हैं और प्रथमविकल्पवाले सिद्ध अपेक्षाकृत अल्प भी हैं और अधिक भी हैं। 'सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाब विहरइ' हे भदन्त ! षटकादिविषय में जो आप देवानुप्रिय ने कहा है वह सर्वथा सत्र ही है। इस प्रकार सीईए य नो चुलसीईए य समज्जिया' गा1म ! सौथी म सिद्ध मे यायशिया અને એને શીથી સમજીત છે અર્થાત્ ત્રીજા વિકલ્પવાળા સિદ્ધ સૌથી म८५ ४ छे. ते अपेक्षा 'चुलसीइसमज्जिया' ये शी समत सिद्ध અનતગણું છે. અર્થાત પહેલા વિકલ્પવાળા સિદ્ધો અનંતગણું છે અને તેઓની अपेक्षा सिद्धी 'नो चुलसीइसमजिया' २माना यार्याशी समत छे તેઓ અનંતગણ છે. આ બીજા વિકલ્પવાળા સિદ્ધ છે. આ રીતે સૌથી ઓછા ત્રીજા વિકલ્પવાળા સિદ્ધ છે બીજા વિકલ૫વાળા સિદ્ધો સૌથી અધિક છે તથ પહેલા વિકલ્પવાળા સિદ્ધો અપેક્ષાએ અલ્પ પણ છે. અને અપેક્ષાએ અધિક પણ છે. તેમ સજવુ ___ 'सेवं भंते ! सेवं भंते ति जाव विहरई' से मशव छ सभळत विगेरे વિષયમાં આ૫ દેવાનુપ્રિયે જે પ્રમાણે કહ્યું છે, તે સર્વથા સત્ય છે, આપ દેવાનુપ્રિયનું કથન સર્વ પ્રકારે સત્ય જ છે. આ પ્રમાણે કહીને ગૌતમ
SR No.009324
Book TitleBhagwati Sutra Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1970
Total Pages683
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size42 MB
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