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प्रमेयचन्द्रिका टीको श०२० उ०५ सू०५ सप्तप्रदेशिकस्कन्धस्य वर्णादिनि० ७७३, निद्धे देसे लुक्खे ९, जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा' इंति षोडशो भङ्गः । देशः शीतो देश उष्णो देशः स्निग्धो देशो रूक्ष इति प्रथमः १, देशः शीतो देश उष्णो देशः स्निग्धो देशा रूक्षा इंति द्वितीयः २, देश: शीतो देश उष्णो देशाः स्निग्धा देशो रूक्ष इति तृतीयः ३, देशः शीवो देश उष्णो देशाः स्निग्धाः देशा रूक्षा इति चतुर्थः ४ । देशः शीतो देशा उष्णाः देशः स्निग्धो देशो रूक्ष इति पञ्चमः ५ । देशः शीतो देशा उष्णाः देशः स्निग्धो देशा रूक्षा इति षष्ठः ६ । देशः शीतो देशा उष्णाः देशाः स्निग्धा देशो रूक्ष इति निद्ध देसे लुक्खे ९ जाव देसा सीया, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसा लुक्खा १६ इस प्रकार के १६ भंगों वाला हो सकता है इन भंगों का तात्पर्य ऐसा है-वह सप्तप्रदेशिक स्कन्ध-एकदेश में शीत स्पर्शवाला हो सकता है, एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला हो सकता है, एकदेश में स्निग्ध स्पर्शवाला हो सकता है और एकदेश में रूक्ष स्पर्शवाला, हो सकता है १, अथवा-एकदेश में शीतस्पर्श बाला, एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला, एकदेश में स्निग्ध स्पर्शवाला और अनेक देशों में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है २, 'अथवा-एकदेश में शीत स्पर्शवाला, एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला, अनेक देशों में स्निग्ध स्पर्शवाला और एकदेश में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है ३ अथवा-एकदेश में शीतस्पर्शवाला, एकदेश में उष्ण स्पर्शवाला, अनेक देशों में स्निग्ध स्पर्शवाला, और अनेक देशों में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है ४. अर्थवाएकदेश में शीत स्पर्शवाला, अलेक देशों में उष्ण पत्राला, एकदेश में स्निग्ध स्पर्शवाला, और एक प्रदेश में रूक्ष स्पीवाला हो सकता है ५, अथवा-एकदेश में शीत स्पर्शवाला अनेक देशों में उपस्पर्शवाला, एकदेश में स्निग्ध स्पर्शबाला और अनेक देशों में रूक्ष स्पर्शवाला हो सकता है ६, अथवा-एक देश में शीत स्पर्शवाला, लुक्खाह' मथवा तपाताना देशमा ४ २५शवाणो अन: शमा Gણ સ્પશવાળે એક દેશમાં સ્નિગ્ધ-ચિકણું સ્પર્શવાળો અને અનેક દેશોમાં ३६ २५शवाणी हाय छे. ६ देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे અથવા તે પિતાના એક દેશમાં ઠંડા સ્પર્શવાળો હોય છે. અનેક દેશોમાં ઉ સ્પર્શવાળો હોય છે. અનેક દેશોમાં સિનગ્ધ-ચિકણું સ્પર્શવાળ હોય छ। तथा ४ देशमा ३६ २५शवाजो डाय छ “७ 'देसे सीए देखा उत्रिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा अथवा. पोताना देशमा ४ स्पशवाणे