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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५सू०५ सप्तप्रदेशिकस्कन्धस्य वर्णादिनि० ७५३, (७) एवं कषायाम्लयोरपि योगे चत्वारों भङ्गा भवन्ति तथाहि-कषायचाम्लश्चेति प्रथमः १, कषायश्च अम्लाश्चेति द्वितीयः २, कषायाचाम्लश्चेति तृतीयः ३, स्यात् कपायाश्च अम्लाश्चति चतु: ४ । (८) एवं कषाय मधुरयोरपि योगे चत्वारो भङ्गा भवन्ति तथाहि-स्यात् कपायश्च मधुरश्चेति प्रथमः १, स्यात् कपायश्च मधुहो सकता है। इसी प्रकार से कषाय और अम्ल रल के योग में भी चार भा होते हैं-यथा स्यात् कषायश्च : अम्लश्च १, 'स्मात् कपायश्च अम्लाश्च २, 'स्यात् कषायाश्च अग्लश्च ३' स्यात् शशाच अम्लाबा४'इन भड़ों के अनुसार कदाचित वह कषाय रसवाला और अम्ल रसवाला हो सकता है १ कदाचित् वह एक प्रदेश में झपाय रस्तवाला और अनेक प्रदेशों में अम्ल रलवाला हो सकता है २, कदाचित् वह अनेक प्रदेशों में कषाय रखवाला और एक प्रदेश में अम्ल रसवाला हो सकता है ३ अथवा-कदाचित् वह अनेक प्रदेशों में कषाय रसपाला और अनेक प्रदेशों में अम्ल रसवाला हो सकता है ४ इसी प्रकार से कषाय और मधुररस के योग में भी ४ भंग होते हैं-यथा 'स्यात् कषायश्च मधुरश्च १, स्थात् कषायश्च मधुराश्च २, स्थात् कषायाश्च मधुरश्च ३, स्थात् कषायाश्च मधु. राश्च ४ इन अंगों के अनुसार कदाचित् कषाय रसवाला और मधुर रसवाला भी हो सकता है १ कदाचित् वह अपने एक प्रदेश में कपाय रसवाला और अनेक प्रदेशों में मधुर रसवाला हो सकता है २ भने माटा रसना येथी १५ ४ यार भी थाय छ । प्रभारी छ-'स्यात् कषायश्च अम्लश्च' चार ते पाय-तुस २सवाणे भने मारा २सवाणे हाय छे. १ 'स्यात् कपायश्च धम्लाश्च मे प्रदेशमा पाय-तुरा रसपाणी डाय'.' भने म प्रदेशमा माटा रसवाणा हाय छे. २ 'स्यात् कंषायाश्च अम्लश्च' वार त मन प्रशामां षाय-तुरा २सवाणी હોય છે તથા કઈ એક પ્રદેશમાં ખાટા રસવાળો હોય છે. ૩ 'स्यात् कषायश्च अम्लश्च' सने शाम त तुरा २साणा हाय छ भने અનેક પ્રદેશોમાં ખાટા રસવાળો હોય છે ૪ આજ રીતે કષાય અને મીઠા २सना योगयी ५ यार मग थाय छे. मावीशत छ.-'स्यात् कषायश्च मधुरश्च' चार ते पाय-तु। सपाणी य छे. मन वार मधुर २सपाणी डाय छे. १ 'स्यात् कषायाश्च मधुराश्च', अर्थ मे प्रदेशमा ते કષાય-તુરા રસવાળો હોય છે. અને અનેક પ્રદેશમાં મીઠા રસવાળ હોય છે. ૨ ०२५
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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