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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू०३ पञ्चप्रदेशिकस्कन्धनिरूपणम् ६४६ . हालिईए य ५, सियकालगा य नीलए य हालिहगा य ६, सिय कालगा यं नीलगाय हालिदए य ७' पात् कालच लोहितच हारिद्रश्च १, स्यात् कालश्च लोहि- . तश्च हारिद्राश्च २, स्यात् कालश्च नीलकाश्च हारिद्रश्च ३, स्यात् कालाश्च नीलकाचे . हारिद्राश्च ४, स्यात् कालाश्च नीलकश्च हारिद्रश्च ५, स्यात् कालाश्च नीलश्च हारि- : दाध ६, स्यात् कालाच नीलकाश्च हारिद्रथेति सप्तमः । 'काललोहियसुकिल्लेस' काललोहितशुवलेष्वपि सप्तमगा भवन्ति तथाहि-'सिप कालए य लोहियए य वर्णवाला हो सकता है सिथ झालए नीलगा हालिमा ४' यह चौथा भंग है इसके अनुसार वह अपने किसी एक प्रदेश में काले वर्णवाला अनेक प्रदेशों में नीलेवर्णवाला और अनेक प्रदेशों में पीले . वर्णवाला हो सकता है । 'लिय कालगाय नीलए य हालिहए य ५' यह पांचवां भंग है इसके अनुसार उसके अलेप्रदेश कृष्णवर्ण के हो सकते है एकप्रदेश उसका नौलेवर्ण का हो सकता है और एक प्रदेश उसकी पीले वर्ण का हो सकता है 'सिक कालमा य नीलए य हालिदगो यं' । यह छठा भंग है इसके अनुसार उसके अनेक प्रदेश कृष्णवर्णवाले , एक प्रदेश नीलेवर्णवाला और अनेक प्रदेश पीलेवर्णवाले हो सकते हैं 'सिय कालगा य नीलगाय हालिद्दए य' यह सातवां भंग है इसके अनुसार उसके अनेक प्रदेश कृष्णपाले अनेक प्रदेश नीलवर्णवाले और एकप्रदेश पीलेवर्णवाला हो सकता है 'काललोहियालुस्किल्लेसु' काल लोहित शुक्ल इन तीन वर्गों के संयोग में भी इसी प्रकार से सात પ્રદેશોમાં નીલવર્ણવાળો તથા અનેક પ્રદેશોમાં પીળા વર્ણવાળો હોય છે. SA मा या थाय छ ४ 'सिय कालगा च नील ए य हालिहए ૨ થ તેના અનેક પ્રદેશ કાળા વર્ણવાળ હોય છે. તેને એક પ્રદેશ નીલવ વિાળ હોય છે. તથા એક પ્રદેશ પીળા વર્ણવાળો હોય છે. આ પ્રમાણે આ पाय! सग ही छ. ५ 'सिय कालगा य नीलए य हालिहगा य ६' तना અનેક પ્રદેશે કાળા વર્ણવાળા હોય છે. એક પ્રદેશ નીલવર્ણવાળો હોય છે તથા અનેક પ્રદેશે પીળા વર્ણવાળા હોય છે. આ રીતે આ છઠ્ઠો ભંગ છે. 'सिय कालगा य नीलगा य हालिएद य' तनामने प्रदेश वाणा हाय છે. અનેક પ્રદેશ નીલવર્ણવાળા હોય છે. અને એક પ્રદેશ પીળાવર્ણવાળો है।य छे. मा सातमी ' छे. ७' 'काललोहियसुकिल्लेसु' गोवाणु લાલવણ અને ધળા વર્ણના રોગથી પણ સાત ભ થાય છે. જે આ भ० ८२
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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