________________
५९४
भगवतीस्त्रे धस्तदेवं चत्वारो भंगा भवन्तीति । 'सिय नीलए यहालिदए य ४' स्यात् नीलश्च पीतश्च ४, अनापि चत्वारो भंगाः, स्यात् नीलश्च स्यात् पीतश्च प्रदेशद्वयस्य नीलं. त्वात् प्रदेशद्वयस्य च पीतत्वादिति प्रथमः १, स्यात् नीलश्च पीताश्व प्रदेशमात्रस्य नीलत्वात् प्रदेशत्रयाणां लोहि त्वादिति द्वितीयो भंगः २, स्यात् नीलाच पीतश्च प्रदेशानां नीलत्वात् प्रदेशमात्रस्य च पीतत्यादिति तृतीयो मंगः ३, स्यात् नीलाच पीताश्चेवि चतुथों भंगस्तदेवमिहापि चधारो भंगा इति ४ । 'सिय नौलए य सुकिल्लए य' स्यात् नीलश्च शुक्लश्च अत्रापि चत्वारो भंगास्तथाहि-स्यात् नीलश्च प्रदेश लाल वर्ण के भी हो सकते हैं 'सिय नीलगा य लोहिए य३' इस भंग में उसके प्रदेश नीले हो सकते हैं और प्रदेश उसका लाल भी हो संकता है ३'सिय नीलगा य लोहियगा य ४'हस चतुर्थ भंग में उसके बहुत से अंश नीले हो सकते हैं और बहुत से अंश लाल भी हो सकते हैं 'सिय नीलए ये हालिद्दए य १'दो प्रदेशों में नील और दो प्रदेशों में पीतता होने की संभावना से यह प्रथम भंग घना है 'स्यात् नीलच पीमाश्च २'एक प्रदेश में नील की संभावना से और ३प्रदेशों में पीत वर्ण की संभावना से यह द्वितीय भंग बना है 'स्यात् नीलाश्च पीतश्च १३प्रदेशों में नील वर्ण की संभावना से और एक प्रदेश में पीत वर्ण की संभावना से यह तृतीय मंग बनाई 'स्यात् नीलाश्च पीताश्च' अनेक अंशों में नील वर्ण की और अनेक ही अंशों में पीत वर्ण की संभावना से यह चतुर्थ भंग बना है अपनी वर्ण के लाथ शुक्ल वर्ण को युक्त
शे २ सिय नीलगा य लोहियए य३' मा lorari तना પ્રદેશે નીલ વર્ણવાળા હોઈ શકે છે અને તેનો ૧ એક પ્રદેશ લાલ પણ હોઈ श छे. 'सिय नीलगाय लोहियगाय' मा याथा ममा तना पशु! In અંશે નીલ વર્ણવાળા હોય છે, અને ઘણાખરા અંશે લાલ પણું હોઈ શકે છે. , सिय नीलए य हालिहए य१' तेना में प्रदेशमा नlaq पाशु अन मीलन પ્રદેશોમાં પીળાવ પણ હોવાની સંભાવનાથી આ પહેલે ભંગ બન્યા છે.' 'स्यात् नीलश्च पीताश्चर' में प्रदेशमा नlaq 3 श'छ भने ३५ પ્રદેશોમાં પળવણું હોઈ શકે છે.૨ આ રીતે બીજો ભંગ બન્યાં છે. 'स्यात् नीलाश्च पीतश्च३' त्रय प्रशामा नसा छे. भने । अशी पाणी पंथु । छ. शत त्री मने छ.3 'स्यात् नीलाइच पीताश्च४' अन 3 मशाभी नाश छ. अने: मामा પીળો પણું હોઈ શકે છે. એ રીતે એ ચા મંગે બનેલું છે, હવે નીલવર્ણ