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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका २०१८ उ०४ सू०३ नारकादीनां कृतयुग्मत्वादिनिरूपणम् २१ प्रमाण्यादेव अवगन्तव्यम् तत्त्वस्यातिसूक्ष्मत्वादिति । ' एवं जाव थणियकुमारा' एवं यात्रत् स्तनितकुमाराः एवम् यथा नारकाः जघन्यपदे कृतयुग्मसंज्ञिता उत्कृष्ट. पदे योजाः जघन्योत्कृष्टात्मक मध्यमपदे स्यात् कृतयुग्मादिसंज्ञिताश्चतुर्विधा अपि भवन्ति यथैव - नारक देव असुरकुमारादारभ्य स्तनितकुमारपर्यन्त देवा अपि जघ न्यपदे कृतयुग्मसंज्ञिताः उत्कुष्टपदे योजाः जघन्योत्कृष्टात्मकमध्यमपदे कृतयुग्मादिपाचतुर्विधा अपि भवन्तीति भावः । ' वणस्सइकाइयाणं पुच्छा' वनस्पतिकाधिकानाम् पृच्छा हे भदन्त ! वनस्पतिका जीवाः किं कृतयुग्मराशिरूपाः ज्योजा द्वापरयुग्मराशिभूताः कल्बोजा वेति प्रश्नः, भगवानाह - ' जहन्न' इत्यादि । 'जहन्न हुआ है यह सब कथन वचन की प्रमाणता से ही जानना चाहिये क्योंकि तत्व अतिसूक्ष्म होता है । ' एवं जाव धणियकुमारा' जिस प्रकार से नारक जघन्यपद में कृतयुग्म राशिरूप और उत्कृष्ट पदमें योजराशिरूप कहे गये हैं, तथा अजघन्योत्कृष्टात्मक मध्यमपद में कथंञ्चित् कृतयुग्मादि चारों प्रकार की राशिरूप कहे गये हैं उसी प्रकार से असुरकुमार से लेकर स्तनितकुमार पर्यन्त देव भी जधन्य पद में कृतयुग्मराशिप्रमाण हैं । उत्कृष्ट दमें ज्योजराशि प्रमाण हैं तथा अजघन्य अनुत्कृष्टात्मक मध्यमपद में कथंचित् वे कृतयुग्मादिरूप चारों राशिवाले हैं । इसी प्रकार से 'वणस्सकाइयाणं पुच्छा' वनस्पतिकायिकों ' के विषय में प्रश्न गौतम ने किया है- उन्होंने पूछा है हे भदन्त ! वनस्पतिकायिक जीव क्या कृतयुग्मराशिरूप हैं ? या योजराशिरूप हैं ? या द्वापरयुग्मराशिरूप हैं ? या कल्घोजराशिरूप हैं ? उत्तर में प्रभुने कहा પ્રમાણતાથી જ સમજવુ` કેમ કે તત્ત્વ અત્યંત ખારીક હાય છે. “છ્યું લાવ थणियकुमारा" नाश्ने ? प्रमाणे धन्ययस्थी मृतयुग्भ राशि ३५ भने ઉત્કૃષ્ટ પદમાં યેાજર શિ રૂપ કહેવામાં આવ્યા છે તથા અજઘન્યાત્કૃષ્ટાત્મક મધ્યમ પટ્ટમાં કથાચિત્ કૃતયુગ્મ વિગેરે ચારે પ્રકારની રાશિ રૂપે કહ્યા છે. તે જ રીતે અસુરકુમારથી લઈને સ્તનિતકુમાર સુધીના દેવ પણુ જઘન્યપદમાં નૃતયુગ્મ રાશિ પ્રમાણ છે, અને ઉત્કૃષ્ટપરમાં ચૈાજ રાશિ પ્રમાણ છે તથા અજઘન્ય અનુભૃષ્ટવાળા મધ્યમ પદમાં કથાચિત તેએકૃતયુગ્માદિરૂપ ચારે शिवाजा छे. येन रीते "वणस्सइकाइयाणं पुच्छा" वनस्पति अयिोना विषयभां પણ ગૌતમ સ્વામીએ પ્રશ્ન કર્યાં છે કે--હે ભગવન્ વનસ્પતિકાયિક જીવ શું કૃતયુગ્મ રાશિ રૂપ છે? અથવા ચૈાજ રાશિ રૂપ છે? કે દ્વાપરયુગ્મ રાશિ રૂપ છે ? કે કલ્ચાજ રાશિ રૂપ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે
SR No.009323
Book TitleBhagwati Sutra Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages984
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size63 MB
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