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भगवतीने णित्ता' प्रतिश्रुत्य-स्वीकृत्य-स्वीकारानन्तरम् जेणेव साइं साई गिहाई तेणेव उबागच्छंति' यत्रैव स्वकाः सका गृहा स्तत्रैवोपागच्छन्ति प्रत्येकं स्वं स्वं गृह प्रतिगतवान् इत्यर्थः । 'उपगच्छिता विउलं जाव उक्खडावेंति' उपागत्य-स्वकीयं स्वकीय गृहमागत्य विपुलम्-अत्यधिकम् अशनपानखादिमस्वादिमम् उपस्कार- यन्ति, 'उक्खडावेत्ता' उपस्कार्य 'मित्तनाइजाव' मित्र ज्ञाति यावत् मित्र झाति स्वजनसम्बन्धिपरिजनान् आपृच्छय 'तस्सेव मित्तणाइ जाव पुरओ जेट्टपुत्ते कुटुंबे ठावेंवि' तेगा। मित्रज्ञाविस्वजनसम्बन्धिपरिजनानां पुरतो ज्येष्ठ पुत्रान् कुटुम्वे स्थापयन्ति, 'ठावेत्ता' स्थापयित्वा 'तं मित्तगाइ जाव जेट्टपुत्ते य आपुच्छंति' तान् मित्रज्ञा तस्वननसम्बन्धिारिजनान् ज्येष्ठपुत्रांचापृच्छंति, 'आपुच्छित्त।' तान् सर्वान् ज्येष्ठपुत्रांश्च आपृच्छय 'पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयामो दूरुहंति' पुरुषसहस्रवाहिनीः शिविका दूरोहन्ति 'दरहिता' दुरुह्य 'मित्तउन १००८ वणिरजनों ने बहुत ही अच्छी प्रकार से विनय पूर्वक मान लिया पडिसुणेत्ता' मानकर 'जेणेव साई २' फिर वे अपने २ घर पर गये । 'उवागच्छित्ता विउलं जाव उवश्खडावेह वहां जाकरके उन्होंने विपुल मात्रामें चारों प्रकार के आहार को तैयार करवाया। 'उवक्खडावेत्ता मित्तनाह०' अशन, पान, खादिम, और स्वादिमल्प चारों प्रकार के आहार को तैयार कराकर 'मित्तनाइ जाव पुरओ जेहपुत्ते कुटुंबे ठावेंति' उन्हीं मित्र, ज्ञाति, स्वजन, सम्बन्धी, परिजनों के समक्ष उन्होंने
अपने २ ज्येष्ठ पुत्रों को कुटुम्ब में स्थापित कर दिया । 'ठावेत्ता तं -मित्तनाइ जाब जेट्टपुत्ते य आपुच्छई' स्थापित करके फिर उन्होंने दीक्षा धारण करने के विषय में उनसे पूछा-'आपुच्छेत्ता पूछकर 'पुरिससहस्त वाहिणीओ सीयाओ दुरुहति' फिर वे पुरुषसहस्रवाहिनी शिविका वनय ४ सारी शत स्वारी साधु', "पडिपुणेत्ता" सारीर "जेणेव साइ २" . पातपातान ३२ गया. "उवागच्छित्ता विऊल जाव उवक्ख डावेह" ३२१ तमाय विपाथी यारे प्रारना मा.२ तैयार २०या. "उबक्खडावेत्ता मित्तनाइ" भशन, पान, माहिम भने २॥भि से प्रार! यारे मारने तया२ ४२वीर "मित्तणाइ जाव पुरओ जेदुपुत्ते - कुडुवे ठावे ति" ते मया मित्र, ज्ञातिनानी साथे तमामे चातपाताना मोटा पुत्रने युटुबमा स्थापित ४. "ठावेत्ता त मित्तनाइ जाव जेट्रपुत्तेय आपुच्छई' मुटु मम माने ज्ये४ पुत्राने स्थापान पछी तमाशा લેવાની બાબતમાં પિતપોતાના જ્યેષ્ઠ પુત્રને અને જ્ઞાતિજન વિગેરેને પૂછયું ! "आपुच्छेत्ता" पूछीन “पुरिससहस्सवाहिणीओ, सीयाओ दुरुहंति" मसान