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भगवती प्रज्ञप्ता तत्ममाणमाह-'एग जोयणसयसहस्सं पमाणं तहे' एकं योजनशतसहस्रं प्रमाणं तथैव यथा चमरचञ्चायाः प्रमाणं तथा बलिचश्चाया अपि तथाहि"एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खमेणं' एकं योजनशतसहसमायामविष्का म्भेन तत्र द्वितीयशतकस्याष्टमोदेशके मोक्तम्-'जंबूदीवप्पमाणा' सा राजधानी जम्बूद्वीपप्रमाणा वर्तते, तच्च प्रमाणं यथा-'तण्णि जोयणसयसहस्साई सोलसय सहस्साई दोनि य सत्ताबीसे जोयणसए विनिय कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरसयअंगुलाई अद्वंगुलयं च किंचि विसे शादियं परिक्खेवेणं पण्णत्त' त्रिणि योजनशतसहस्राणि पोडशसहस्राणि द्वे च सप्तर्विशे योजनशते त्रयः कोशाः करने पर ठीक इसी स्थान पर वैरोचनेन्द्र वैरोचन राज पलिकी 'बलि चंचा नाम रायहाणी पन्नत्ता' बलिचचा नाम की राजधानी कही गई है । 'एग जोयणसयसहस्सं पमाणं तहेव जाव बलिपेढस्स' इस बलिचंचा राजधानी का प्रमाण एक लाख योजन का है । चमर की राजधानी का भी प्रमाण इतना ही है। इसका प्रमाण कहनेवाला पाठ इस प्रकार से है-'एग जोयणसयसहस्सं आयामं विश्खंभेणं' अर्थात् चमरचंचा राजधानी का प्रमाण आयाम और विष्कम्भ की अपेक्षा १ लाख योजन को है । द्वितीयशतक के अष्टम उद्देशक में 'जम्बूद्दीवपमाणा' ऐसा कहा है । सो यह राजधारी जंबूदीप के बराबर है। वह प्रमाण इस प्रकार से है-'तिणि जोयणसयलहस्साई सोलसयसहस्साई दोन्नि य सत्तावीसे जोयणसए तिनि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसंयं तेरसय अंगुलाई अद्धंगुलयं च किंचि विसेसाहियं परिक्खेवेण स्थान ५२ वैशयनेन्द्र वैशयन मलिना "बलिचंचानामं रायहाणी पण्णचा" मालिया नामानी मतिनी सयानी पानु खु छ, “एगे जोयणसयसहस्स पमाणं तहेव जाव बलिपेढस्स" मा पलिया यानीनु प्रभार से લાખ જનનું છે. અમરેન્દ્રની રાજધાનીનું પ્રમાણુ બતાવનાર પાઠ આ प्रमाणे छे. "एगं जोयणसयसहरसं आयामविक्खंभेणं' अर्थात यमरनी सस ધાનીનું પ્રમાણ આયામ લંબાઈ અને વિષ્કભ પહોળાઈની અપેક્ષાએ જ એક साम योजानु छे. भी शतना मामा देशामा "जम्वृद्वीपप्रमाणा" એવું કહેલ છે, તેથી આ રાજધાની જંબુદ્વીપની બરાબર જબૂદ્વીય સંબંધી प्रभा मा प्रमाणे छ-तिण्णि जोयणसयसहस्साई सोलस य सहस्साई दोनि य सवावीसे जोयणसए तिन्निय कोसे अट्ठावीस धणुसयं तेरसयअंगुलाई अद्धंगुलयं च किंचिविसेसाहिंय परिक्खेवेण पण्णत्" ३ असाम १६ सय १२ २