________________
DEE
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० १ परमाणुपुद्गलनिरूपणम् ६५ माणुपोग्गला एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकता-एकभागे द्वौ परमाणुपुद्गलौ भवतः, एकत:-अपरभागे चत्वारो द्विपदेशिका: स्कन्धा भवन्ति, "सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छपरमाणुपोग्गला, एगयो चउपएसिए खंधे भवा" दशपदेशिकः स्कन्धः, सप्तधों क्रियमाणः, एकतः-एकमागे षट् परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकत:-अपरभागे चतुष्पदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवां एगयओ पंचपरमाणुपोग्गला, एगयो दुप्पएसिए, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ' अथवा एकता-एकभागे पञ्च परमाणुपुद्गलाः भवन्ति, एकता-अपरभागे द्विप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकता-अन्यभागे त्रिप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अइवा एगयो चत्तारिपरमाणुपोग्गला, एगयो तिनि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकता-एकभागे चस्वारः परमाणुपुद्गला भवन्ति, एकता-अपरमागे त्रयः द्विप्रदेशिकाः स्कन्धा भवन्ति। माणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में दो परमाणुपुनल होते हैं, एक दूसरे भाग में चारं विप्रदेशिक स्कंध होते हैं, 'सत्तहा कज्जमाणे एगयओ छ परमाणुरोग्गला, एगयओ चउप्पएसिए खंधे भव' इस दशप्रदेशिक स्कन्ध के जब सातविभाग किये जाते हैं, तप एक भाग में षट् परमाणुपुद्गल होते हैं, और दूसरे भाग में एक चतुष्प्रदेशिक रकंध होता है । ' अहवा-एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भव' अथवा-एकभाग में पांच परमाणुपुद्गल होते हैं, एक भाग में ऐक विंप्रदेशिक स्कन्ध होता है और एक अन्यभाग में एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है। 'अहवा-एगयो चत्तारि परमाणुपोगाला, एगयओ तिनि दुष्पएसिया खंधा भवंति' अथवा-एकभाग में चार परमाणुपुद्माणुपोग्गला, एगयओ चत्तारि दुप्पएसिया खंधा भवंति " अथवा मे गई પરમાણુ પુલવાળા બે વિભાગે અને દ્વિદેશિક ચાર સ્કંધ રૂપે ચાર विभाग थाय छे. “सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, “ एगयओ घउप्पएसिए खधे भवइ" इस प्रशि: २४ घना न्यारे सात विभागोवामा આવે છે, ત્યારે એક એક પરમાણુ પુલવાળા છ વિભાગો અને એક ચાર प्रशि: २४५ ३५ मे विमा थाय छे. “ अहवा-एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगय प्रो दुप्पएसिए, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भव" अथवा : એક પરમાણુ પુલવાળા પાંચ વિભાગે, દિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂપ विमा भने निशि:४५ ३५ मे विमा थाय छे. " अहवा-एगयो वत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिन्नि दुप्पएसिया खंधां भवंति" अथवा