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________________ भगवती सौत्रिकभगः भङ्गद्वयमित्यर्थः, यावत्-द्वीन्द्रियत्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियपञ्चेन्द्रियेषु अनिन्द्रियेषु यावत् १ एकेन्द्रियदेशाच, त्रीन्द्रियाणां देशाश्च,२-एकेन्द्रियदेशाच, चतुरिन्द्रियाणां देशाच, ३ एकेन्द्रियदेशाच पञ्चन्द्रियाणां देशाश्च अथवा एकेन्द्रियदेशाच, अनिन्द्रियाणांच देशाश्च भवन्ति, 'जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा?' तत्र ये जीवप्रदेशा भवन्ति, ते नियमाव-एकेन्द्रियप्रदेशाः सन्ति, 'अहवा एगिदियपएसा य, बेइंदियस्स परमार' अथवा एकेन्द्रियप्रदेशाश्च, द्वीन्द्रियस्य प्रदेशाश्च सन्ति२, 'अहवा एगिदियपएसा य, वेइंदियाण य पएसा ३' अथवा एकेन्द्रियप्रदेशाच, द्वीन्द्रियाणांच प्रदेशाः सन्ति, ‘एवं आइल्लविरहिओ सिद्धों में जानना चाहिये। यावत् अथवा वहाँ एकेन्द्रियों के देश और अनिन्द्रियों के देश हैं। यहां यावत् शब्दसे-हीन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चौहन्द्रिय एवं पंचेन्द्रिय इनका संग्रह हुवा है। तथा-वहां पर एकेन्द्रियों का देश हैं३, एकेन्द्रियों के देश हैं और पंचेन्द्रियों के देश हैं, अथवा-एकेन्द्रियों के देश हैं और अनिन्द्रियों देश है" इस पाठ का संग्रह हुआ है। 'जे जीवपएसा ते नियमा एफिदियपएसा ११ वहां जो जीवप्रदेश है वे नियम से एकेन्द्रिय जीव के प्रदेश हैं। 'अश्या-एगिदियपएसा य, बेइंदियस्स पएसा अथवा-वहां एकेन्द्रिय के प्रदेश हैं और वेन्द्रिय के प्रदेश हैं । 'अहवा एगिदिशपएसा य वेइंदियाणयपएसा ३' अथवा वहां एकेन्द्रियों के प्रदेश हैं और वेन्द्रियों के प्रदेश हैं ३, ‘एवं અનિયિમાં (સિદ્ધોમાં) પણ સમજવા જોઈએ. આ રીતે છેલ્લે વિકલ્પ આ प्रमाणे अनशे-“ त्यां गेन्द्रियाना ।। (40) मन भनिन्द्रियो (सिद्धी) ના દેશનો સદ્ભાવ દેય છે “યાવત્ ” પદથી કનિદ્રય, તેઈન્દ્રિય, ચૌઈન્દ્રિય અને પંચેન્દ્રિય સંગ્રહ કરાય છે. વચ્ચેના વિકલ્પ આ પ્રમાણે સમજવા અથવા ત્યાં એકેનિદ્રાના દેશે અને તેઈન્દ્રિયના દેશો હોય છે. અથવા એકેન્દ્રિના દેશો અને ચતુરિન્દ્રિોના દેશ હોય છે અથવા એકેન્દ્રિના દેશે અને પંચેન્દ્રિયોના દેશે હોય છે. અથવા એકેન્દ્રિના દેશે અને અનિન્દ્રિયના દેશ હોય છે. ____“जे जीवपएसा ते नियमो एगिदियपएसा १" (१) त्या प्रदेश। हाय छ, ते नियमयी ०१ मेन्द्रिय बना प्रदेश हाय छ, “ अहवा एगिदिय पएसाय, बेइंदियस्स पएसा" (२) अथवा त्यां मेन्द्रियना अशा छ भने द्वान्द्रियना प्रदेश छ. “ अह्वा एगिदियपएसा य, वेइंदियाण य पएसा" (૩) અથવા ત્યાં એકેન્દ્રિયના પ્રદેશ અને દુન્દ્રિયોના પ્રદેશ હોય છે,
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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