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________________ ५० - - भगवतीसरे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा' अथवा एकः शर्कराप्रभायाम , एको धमप्रभायाम् , एकोऽधःसप्तम्यां भवति २-(२४) ' अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा' अथवा एकः शराममायाम् , एकस्तमायाम, एकोऽध सप्तम्यां भवति १-(२५) अहवा एगे वायप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, होज्जा' अथवा एको वालुकाममायाम् , एकः पङ्कमभायाम एको धूमप्रभायां भवति(२६) ' अहवा एगे बालुयप्यमाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा' अथवा एको वालुकाप्रभायाम्, एकः पङ्कप्रभायाम् , एकस्तमायां भवति (२७) 'अइया एगे वालुयप्पमाए, एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा' अथवा एको वालुकामभायां भवति, एकः पङ्कप्रभायाम् , एकश्चाधः उत्पन्न होता है २३, (अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सन्तमाए होजा) अथवा-एक शकराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक नारक अधः सप्तमी में उत्पन्न होता है २४, (अहवाएगे सकरप्पभाए, एगे तभाए, एगे अहे सत्तमाए होजा) अधवा-एक नारक शर्करामला में, एक तमः प्रभा में और एक अधः सप्तमी में उत्पन्न हो जाता है २५, (अहवा-एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा) अथवा-एक नारक वालुकाप्रभा में, एक पल. प्रभा में और एक धूमप्रभा में उत्पन्न हो जाता है २६. (अहवा-एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पसाए, एगे तमाए होज्जा) अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक पङ्कप्रभा में और एक तमः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है २७, (अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा) अथवा एक नारक वालुकाप्रभा में एक पङ्कप्रभा में और एक ( अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमाए होजा) (२४) અથવા એક શર્કરામભામાં, એક ધૂમપ્રભામાં અને એક નીચે સાતમી નરકમાં उत्पन्नं थाय छे. ( अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए होजा) (२५) अथवा : ना२४ २४॥प्रमामा, मे तम:प्रामा अने से नाये सातभा न२४मा पन थाय छे ( अहवा एगे वालुयल्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा ) (२६) अथवा से पानामा, मे ५४मामा भने मे धूमप्रमामा उत्पन्न थाय छे. ( अहवा एगे पालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होज्जा ) (२७) A241 मे बाबुआमामा, मे ५४मामा भने मे तम:प्रमामा अत्यन्न थाय छे. ( अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए,एगे अहे सत्तमाए होला) (२८) अथवा मे ना२४ वायु
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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