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________________ भगवती सूत्रे ४८ , 6 तमाए होज्जा १३ ' अथवा एको रत्नप्रभायाम्, एको धूमप्रभायाम्, एकस्तमायां भवति, १३, ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे असत्तमाए होज्जा २ - (१४) ' अथवा एको नैरयिको रत्नप्रभायाम्, एको धूमप्रभायाम्, एकोऽधःसप्तम्यां भवति २ (१४) । ' अहवा एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे असत्तमाए ' अथवा एको रत्नममायाम्, एकस्तमायाम्, एकोऽधः सप्तम्यां भवति १ - (१५) । ' अहवा एगे सकरपभाए, एगे वालुभाए, एगे पंकप्पभाए होज्जा' अथवा एकः शर्करामभायां भवति, एको वा कामभायाम्, एकः पङ्क प्रभाय भवति, १६, । ' अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमभाए होज्जा ' अथवा एकः शर्करामभायाम्, एको वालुकाममायाम्, एको धूमप्रभायाम् भवति १७, नाव अहवा एगे सकरप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए, रत्नप्रभा में, एक धूमप्रभा से और एक तसः प्रभा में उत्पन्न हो जाता है १३, (अवा - एगे रयणप्पभाए, एगे मध्यभाए, एगे अहे घूसत्तमाए १४) अथवा - एक नैरधिक रत्नप्रभा में एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में उत्पन्न होता है १४ ( अहवा - एगे रयणप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहे सत्तमाए ) अथवा - एक रत्नप्रभा में एक तमः प्रभा में और एक अधः सप्तमी से उत्पन्न होता है १५ ( अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाएं होज्जा) अथवा एक नैरयिक रत्नप्रभा में दूसरा एक वालुकाप्रभा में और तीसरा एक पंकप्रभा में उत्पन्न होता है १६, ( अहवा - एगे सकरप्पभाए, एगे चालुभाए, एगे धूमप्पभाए होजा १७ ) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक दूसरा वालुकाप्रभा में और एक तीसरा धूमप्रभा में उत्पन्न होता है १७, होन्जो ) ( 13 ) अथवा मे नार रत्नप्रलामां मे धूमप्रभामां, मने मे तभःप्रमाभां उत्पन्न थाय छे, ( अड्वा एगे रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहे सत्तमा होज्जा ) (१४) अथवा मे नारङ रत्नप्रभामां मे धूमप्रलाभां अने मे नीचे सातभी नरम्भां उत्पन्न थाय छे. ( अइवा एगे रयणप्पभाए, एगे समाए, एगे अहे सत्तमाए होज्जा ) ( 14 ) अथवा मे ना२४ रत्नप्रलाभां એક તપ્ત પ્રભામાં અને એક નીચે સાતમી તમસ્તમપ્રભા નરકમાં ઉત્પન્ન થાય છે. ( अहवा एगे सकरप्पमाए, एगे बालुय पभाए, एगे पकप्पभाए होज्जा ) (१६) (૧૬) અથવા એક નારક શર્કરાપ્રભામા, એક વાલુ પ્રભામાં અને એક પક પ્રભામાં ઉત્પન્ન થાય છે. अहवा एगे सक्करपभाए, एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होज्जा ) ( १७ ) अथवा थे! नार शर्माशयलाभां जीले भेड वालुम्भप्रभामां अनेत्रीले मे धूभप्रलाभां उत्पन्न थाय छे ( जाव अहवा एगे
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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