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प्रमेययन्द्रिका बी० श०२ उ ०३३ सू०१० जमाले दीक्षानिरूपणम् स्थिताः प्रस्थानं कृतवन्तः ' तयाणंतरं च णं वहवे राईसरतलघरजाव सत्थवाहपभिइमो संपष्टिया' तदनन्तरं च खलु बहवः राजेश्वर तलवरयावत्-माडम्बिककौटुम्बिकेम्प श्रेष्ठि सेनापति सार्थवाहप्रभृतयः पुरतः संपस्थिताः। 'तएणं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्ल पिया पहाए कयवलिकम्मे जाब विभूसिए हथिबंधवरगए' ततः खलु तस्य जमाले क्षत्रियकुमारस्य पिता स्नातः कृनबलिकर्मा यावत् कृतकौतुकवाजूमें चले । तयाणंतरं च णं राई सर तलवर जाव सत्यवाहपभिइओ पुरओ संपटिओ' इन के बाद अनेक राजा, ईश्वर, तलबर धावत् सार्थवाह आदि आगे आगे चले यहां यावत् पदले "माडम्बिक कौडम्बिक, इम्य, श्रेष्ठी, सेनापति इन पदोंका ग्रहण हुआ है। "महापुरिस - ग्गुरा" में जो वागुरा पद आया है, वह समूह अर्थ में आया है, वैसे परन्तु यहां जो वाग्गुरापद लिखा गया है, वह सब ओरसे परिवार रूपसे ग्रहण किया है " महापुरिसवामुरा " महा सह में जो “ महा" शब्द आया है, वह "वागुरा" के विशेषण रूपमें आया है 'तएणं से जमालिस खत्तियकुमारस्त पिया पहाए कयबलिकम्मे जाब विभूलिए, हस्थि खंधवगए' इसके बाद क्षत्रियकुमार जमालिका पिता अपने पुत्रके पीछे २ चला, चलनेके पहिले इसने अच्छी तरह से स्नान किया था, पलिकर्म-बायस आदिवहवे राईसर, तल पर जात्र सत्थवाहप्पमिइओ पुरओ सपट्टिओ" त्यार ५६ અનેક રાજાઓ ઈશ્વર (યુવરાજ) તલવર (માંડલિક રાજાએ) તથા સાર્થ, વાહ પર્વતના લકે પાલખીની આગળ ચાલતા હતાઅહીં સાઈવાડની पहा माan " जाव" ५४थी " मांडलि, डीटमि, स्य, श्रेठी अ२ सेनापति" | पांय ५.! ५७२ ४२राय छे. “ महापुरिसनग्गुरा" या सूत्राशनी साथे २ "वागुरा" ५। प्रयास थये। छे ते सभडना २५१ मा थये छ, ५२न्तु २ पा111 समधन वियार ४२di " महापुरिसवगुरा" भेटवे “પુરુષને મહા સમૂહ” અર્થ સમજ, અને “મહા ” પદ સમૂહના વિશેષણ રૂપે વપરાયું છે એમ સમજવું
"तएणं से जमा लिप्स खत्ति यकुमारस्स पिया पहाए, कयवलिकम्मे जीव विभूसिए, हथिखंचवरगर " २ मा क्षत्रियभा२ माशीना पिता पक्ष्य શ્રેષ્ઠ ગજરાજની પીડ પર સવાર થઈને તેની પાછળ પાછળ ચાલવા લાગ્યા હાથી પર સવાર થતાં પહેલાં તેમણે નાન, બલિકર્મ, કૌતુક મંગલ રૂપ