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atraन्द्रिका टीका श०९ उ० ३२ सू० १२ भवान्तरप्रवेशनकनिरूपणम् २३१ सत्तमाए होज्जा, ३-४-५ अहवा रयणप्पभाए य, सक्करप्पभाए य, वालुयप्पभाए य होज्जा१, एवं जाव अहवा रयणप्पभाए य, सक्करप्पभाए य, अहेसत्तमाए य होज्जा २-३-४-५ | अहवा रयणप्पभाए य, वालुयप्पसाए य, पंकप्पभाए य होज्जा, जाव अहवा रयणप्पभाए य, वालुयप्पसाए य अहेसत्तमाए य होज्जा४, अहवा रणप्पभाए, पंकप्पभाए, धूमप्पभाए होजा, एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिन्हं तिया संजोगो भणिओ तहा भाणियवं जाव अहवा रथणप्पभाए तमाए य, अहेसत्तमाए य होज्जा १५ अहवा रयणप्पभाए, य सक्करप्पभाए, वालुयप्पभाए, पंकष्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए, सक्करप्पभाए, वालुयप्पभाए, धूमभाए य होज्जा, जाव अहवा रयणप्पभाए, सकरप्पभाए, वालुभाए वा असत्तमाए य होज्जा४ | अहवा रयणप्पभाए, सक्करष्पभाए, पंकप्पभाए, धूमप्पभाए य होज्जा, एवं रयणभं अमुयंतेसु जहा उन्हं चउक्कसंजोगो भणिओ तहा भाणि जाव अहवा रयणप्पभाए, धूमप्पभाए, तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा | अहवा रयणप्पभाए, सक्करप्पभाए, वालुयभाए, पंकप्पभाए, धूमप्पभाए य होज्जा १, अहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए, तमाए य होज्जार, अहवा रयणप्पभाए, पंकष्पभाए, अहेसत्तमाए य होज्जा३, अहवा सक्करप्पभाए, वालुयप्पभाए, धूमप्पभाए, तमा
પ્રભામા ઉત્પન્ન
एवं रयणपभ्रं अमुयंतेसु जहा पंचमहं पुंसामा उत्पन्न याय
ēત્પન્ન થાય છે? કે
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પન્ન થાય છે ?
aणपण
नैरथि