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प्रमेयन्द्रिका टीका श०८ उ.८ सू२४ सांपरायिकर्मवन्यस्वरूपनिरूपणम् ७९ बद्धवान् , भन्त्स्यति१ वद्धवान् , वध्नाति, न भन्स्यति२, बद्धवान् , न वध्नाति३, बद्धवान् , न बध्नाति, न भन्स्यति ?४, गौतम ! अस्त्येकको बद्धवान् , बध्नाति, भन्स्यति १, अस्त्येककः वद्धवान् , बध्नाति, न भन्स्यति २, अस्त्येकको बद्धबान् , न बध्नाति, भन्त्स्यति३, अस्त्येकको बद्धवान् , न वनाति, न भन्स्यति४, तद् भंते ! किं सादिकं सपर्यवसितं वध्नाति०? पृच्छा तथैव, गौतम ! सादिकं वा जीवने पहिले इसे बांधा है वह वर्तमान में नहीं बांधता है, आगे वह इसे योगा? ३, (वधी, न बधद, न वंधिस्सइ) भूतकाल में इसे जीव ने वांधा है वह अब इसे नहीं बांधता है और आगे भी वह इसे नहीं बांधेगा? ४, (गोयमा) हे गौतम ! (अत्थेगइए बंधी, वंधह, व धिस्सइ) किसी एक जीव ने इसे पहिले भूतकाल में वांधा है। वर्तमान में वह इसे बांधता है । आगे भी वह इसे वांधेगा। (अत्थेगइए वंधी, बधइ, न बंधिस्सह) तथा कोई एक जीव ऐसा होता है कि जिसने इसे पहिले बांधा है, वर्तमान में वह इसे बांधता है आगे वह इसे नहीं बांधेगा २। (अत्थेगइए पंधी, न बंधह, घधिस्सइ) तथा कोई एक जीव ऐसा होता है कि जिसने इसे पहिले बांधा है, वर्तमान में वह इसे नहीं बांधता है आगे वह इसे बांधेगा ३ । ( अत्थेगहए वधी, न बंधइ, न बंधिस्सइ) तथा कोई एक जीव ऐसा होता है कि जिसने इसे पहिले बांधा है वर्तमान में वह इसे नहीं बांधता है आगे भी वह इसे नहीं बांधेगा (तं भंते ! कि साइयं सपज्जवसियं बंधद०१, पुच्छा तहेव) हे भदन्त ! जीव
' छ, वर्तमानमा ४२त नथी, ५ नविष्यमा ४२॥ १ ( पधी बधइ न बघिस्सइ) (४) भूतभा छ भने मध छ, वर्तमानमा ३२तेनथी मने सविण्यम ४२शे नही १ (गोयमा ! ) गौतम ! ( अत्थे गइए बंधी, यधइ, बधिरसइ) मे वे भूतमा ते ४भ यु छ, पतभानमा ५९ ते ते२ माघे छ भने भविष्यमा ५ ते मांधशे. ( अत्थेग इए बधी, व घइ, न यघिस्सइ) तय ४ १ मे ५५ डाय छ नशे ભૂતકાળમાં સાપરાયિક કમ બાંધ્યું હોય છે, વર્તમાનમાં પણ તેને બાંધતે डाय छ ५gy भविष्यमा त ते नही मांधे. ( अत्थेगइए बधी, न बंधन, बंधिस्सइ) तथा ४०१ वा डाय छ । भूतभा २ मध्यु હોય છે, વર્તમાનમાં તે તેને બંધ નથી અને ભવિષ્યમાં તે તેને બાંધશે (अत्यंगइए बधी, न वधइ, न बघिस्सइ) तथा ४४ ७१ मे। हाय छ । જેણે ભૂતકાળમાં તેને બાંધ્યું હોય છે, વર્તમાનમાં તે તેને બાંધતા નથી અને भविष्यमा माधरी नही.) (त भते । कि साइयं सपज्जवसिय ब धद. १ पुस्ता