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भगवतीसरे ७४ वनाति, सादिरनादिः सपर्यवसितोऽपर्यवसितश्च पूर्व प्ररूपित एव । गौतमः पृच्छति' तं भंते ! कि देसेणं देसं बंधड ? ' हे भदन्त ! तत् ऐपिथिकं कर्म किं देशेनजीवदेशेन जीवस्यैकदेशेनेत्यर्थः, देश-कर्मदेशं कमांगमित्यर्थः वध्नाति ? 'देसेणं सव्व बंधइ' किं वा देशेन जीवस्यांशेन सर्व समग्रं कर्म बध्नाति ? ' सम्वेणं देसं बंधइ ' किं वा सर्वेण सर्वात्मना देशं कमीशं बध्नाति ? ' सव्वेणं सव्वं बंधइ ?' किं सर्वेण सर्व सर्वात्मना समग्रं कर्म व नाति ? इत्यादिरीत्या चतुर्भया प्रश्ना, सत्र जीवदेशेन कर्मणो देशः, सर्व वा कर्म न बगते, एवं जीवसर्वात्मना वा कर्मणो देशो न बध्यते, अपितु सर्वात्मना जीवेन सर्वमेव कर्म वध्यते जीवस्य तथा स्वभावत्वादित्यभिप्रायेण भगवानाह-'गोयमा ! णो देसेणं देस बंधइ, णो देसेणं सव्वं बंधइ, णो सम्वेणं देसं बंधइ, सव्वेण मब्बं बंधइ ' हे गौतम ! नो देशेन बात इन सूत्रपदों द्वारा प्रकट की गई है। अब गौतमस्वामी प्रभु से (तं भंते ! किं देसेणं देसं घंधइ ) इत्यादि बात पूछते हैं-इसमें ऐसा पूछा है कि हे भदन्त ! जीव जो ऐर्यापथिक कर्म को बांधता है सो वह अपने एक देश से उस ऐपिथिक कर्म के एक देश को बांधता है? या ( देसेणं सव्वं बंधइ) | अपने एकदेशसे उस समस्त ऐर्यापथिक कर्म को पांधता है ? या (सव्वेणं देसं बंधइ) अपने समस्तदेश से ऐपिथिकके अंश को बांधता है ? या (सव्वेणं सव्वं बधइ) अपने समस्तदेश से समस्त ऐपिथिक कर्माशों को वांधता है । इसके उत्तर में प्रभु गौतम से कहते हैं ( गोयला) हे गौतम ! (णो देसेणं देसं वधइ, णो देसेणं सव्वं बधइ, णो सम्वेणं देसंबंधइ, सम्वेण सव्वं बंधड) जो पूर्वोक्त रूपसे चतुर्भगी द्वारा प्रश्न किये गये हैं-उस विषय में समाधान ऐसा है कि जीव अपने समस्त देश से ऐपिथिक कर्म को सम्पूर्ण रूप से बांधता
गौतम स्वाभाना प्रश्न-( त भंते ! कि देसेण देसं बधइ ? ) 3 88. ત! જીવ જે પથિક કર્મ બાંધે છે, તે શું પિતાના એક દેશથી તેના (भैया५थि ४मना ) मे देशन मधे छ ? है (देसेण सव्वं बधइ १) याताना मे शिथी शुत समस्त भैर्यापथिई भने मांधे छ ? 3 ( सम्वे ण देसं बधइ ? पाताना समस्त शिथी अर्यापथि४ ४मनामशान मधे छ ? (सव्वे ण सव्व यधइ १) पोताना समस्त शानी गैर्यापथि: ४मशान आधे छ? तना उत्तर मापता महावीर प्रभु ४ छ ?-(गोयमा) 8 गौतम ! (णो देसेण देस वधइ, णो देसेणं सब बधइ, णो सवेणं देस बंधइ सव्वेर्ण सव्वं बधइ) 0 पोताना समस्त शाथी भैया५थि भने સંપૂર્ણ રૂપે બાધે છે, તે તેના એક દેશથી (અંશથી) તે કમને એક અંશને