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भगवतीस्त्रे दन्यासांच औपग्रहिकान उपष्टम्भप्रयोजनान् आधारभूतानित्यर्थः अनन्तानुवन्धिनः क्रोधमानमायालोमान् क्षण्यति, अथ च ' अणंतानुबंधी कोहमाणमायालोभे खवित्ता अपञ्चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोभे खवेइ ' अनन्तानुबन्धिनः क्रोधमानमाया-लोभान् क्षपयित्वा अप्रत्याख्यानकषायरूपान् क्रोधमानमायालोभान् क्षपयनि, ' अप्पञ्चक्खाणकमाए कोहमाणमायालोभे खवित्ता पञ्चरखाणावरण कोहमाणमायालोभे खवेइ ' अपत्याख्यानरुपयान् क्रोधमानयायालोमान्क्षपयित्वा प्रत्याख्यानावरणक्रोधमानमायालोभान् क्षपयति, ‘पच्चरवाणावरणकोहमाणमायालोमे खवित्ता संजलणकोहमाणमायालोमे खवेइ ' प्रत्याख्यानावरणक्रोधमानमायालोमान् क्षपयित्वा संज्वलन क्रोधमानमायालोभान् क्षपयति 'संजलणकोहमाणमायालोमे खवित्ता पंचविहं नाणावरणिज्ज, नवविहं दरिसणा
धन्धी कोहमाणमायालोमे खवेह ) अनन्नानुबन्धी सम्बन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ इन चार कषायों को नष्ट करता है, (अणंताणुबंधी कोहमाणमायालोमे खवित्ता अप्पचक्रवणकसाए कोहमाणमायालोमे खवेइ) इन अनन्तानुबंधी संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ कषायों को नष्ट कर के फिर यह अप्रत्याख्यान संबंधी क्रोध, मान, भाया और लोभ इन चार कषायों को नष्ट करता है, (अपच्चक्वाणकरसाए कोहलाणमायालोमे खवित्ता पचखागावरणकोहनाणमायालोमे खवेह) इन अप्रत्याख्यान संबंधी क्रोध मान, माया, लोभ को
नष्ट करके फिर यह प्रत्याख्यानावरण संबंधी क्रोध मान माया लोभ को -- नष्ट करता है। (पच्चक्खाणावरणकोहमाणमायालोले खवित्ता संजल
णकोहमाणमायालोमे खवेइ) प्रत्याख्यानावरण संबंधी क्रोध मान माया लोभ को नष्ट करके फिर यह संज्वलन संबंधी क्रोध, मान, माया और लोभ को नष्ट करता है। (संजलण कोहमाणसायालोभे खवित्ता पंचविहं मायालोभे खविता अप्पच्चक्खाणकसाए कोहमाणमाया लोभे खवेइ ) मा मनનાનુબંધી ક્રોધ, માન, માયા અને લેભ કષાયેને ક્ષય કરીને તે અપ્રત્યાખ્યાન સંબધી કોધ, માન, માયા અને લેભ, આ ચાર કષાયોને નષ્ટ કરે છે, ( अप्पच्चक्वाणकसाए कोहमाणामायालोमे खवित्ता पच्चक्खाणावरण कोहमाणमायालोमे खवेइ ) अप्रत्याभ्यान समधी अध, मान, माया मन खोलने क्षय ४२ छे. (पच्चक्खाणावरणकोहमाणमायालोमे खवित्ता संजलणकोहमाणमाया लोभे खवेइ ) प्रत्याभ्याना१२९५ सधी आध, मान, माया भने खोलने नट ४२ छ. ( संजलणकोहमाणमायालोमे खवित्ता पचविहं नाणावर