________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ९ उ. ३१ सू०३ अवधिमानिनोलेइयादिनिरूपणम् १८९ सवेदको भवति, नो अवेदको भवति । यदि सवेदको भवति, किं स्त्रीवेदको भवति पुरुषवेदको भवति, नपुंसक वेदको भवति, पुरुषनपुंसकवेदको भवति १ गौतम ! नो वेदो भवति, पुरुषवेदको वा भवति, नो नपुंसकवेदको पुरुष नपुंसकवेदको वा भवति । स खलु भदन्त ! कि सकषायी भवति ? अकषायी भवति ?, गौतम! सकषायी भवति नो अकषायी भवति । यदि सकपायी भवति, स खलु भदन्त । कतिषु
"
होता है या वेदरहित होता है ? ( गोयमा - सवेदए होज्जा णो अवेदए शेज्जा ) हे गौतम! वह अवधिज्ञानी वेदसहित होता है, वेदरहित नहीं ( जइ सवेयए होज्जा किं इत्थीवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, नपुंसगवेयए होज्जा ) हे भदन्त । यदि वह अवधिज्ञानी वेदसहित होता है तो क्या स्त्रीवेदसहित होता है या पुरुषवेद सहित है या नपुंसकवेदसहित होता है? या ( पुरिसनपुंसगवेयए होज्जा ) पुरुष नपुंसक वेद सहित होता है ? ( गोयमा) हे गौतम | वह अवधिज्ञानी ( नो इत्थी dry होज्जा, पुरिसवेयए वा होज्जा, नो नपुंसगवेयए होज्जा, पुरिस नपुंसगवेयर वा होज्जा) स्त्रीवेद वाला नहीं होता है पुरुषवेद वाला होता है । नपुंसक वेदवाला नहीं होता है पुरुष नपुंसक वेदवाला होता है । ( से णं भंते । किं सकसाई होज्जा, अकसाई होज्जा ) हे भदन्त ! वह अवधिज्ञानी सकपायी होता है या अकषायी होता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! वह अवधिज्ञानी ( सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा )
होन्जा ? ) हे अहन्त ! ते अवधिज्ञानी वेहसहित होय छे! वेहरहित होय छे ? ( गोयमा ! सवेदए होज्जा णो अवेदए होज्जा ) हे गौतम! ते अवधिज्ञानी वेहसहित होय छे, वेदरहित होतो नथी. ( जइ सवेयए होन्जा कि इत्थीवेयए होज्जा, पुरिसवेयए होज्जा, नपुंसगवेयए होज्जा ? ) हे लहन्त અવધિજ્ઞાની વેદસહિત હૈાય છે, તે શું સ્ત્રીવેદસહિત હાય છે કે પુરુષવેદસહિત होय छे नपुंस वेडसहित होय छे ? ( पुरिसनपुर सगवेयए होज्जा ) पुरुष नपुं सम्वेदृसहित होय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम! ते अवधिज्ञानी ( नो इत्थीवेयए होज्जा, पुरिस्रवेयए वा होज्जा, नो नपुंसगवेयए होज्जा, पुरिस नपुंगवेयर वा होज्जा ) श्रीवेदवाणी होती नथी, पुरुषवेदवाणी होय छे, नपुंस! वेदवाणी होतो नथी, पुरुष नपुंसः वेदवाणी होय छे ? ( सेण भ॑ते ! किं' सकसाई होज्जा, अकसाई होज्जा १) हे महन्त ! ते व्यवधिज्ञानी सम्षायी होय छे भाषायी होय छे ? ( गोयमा । सकसाई होन्जा, नो अक• साई होना) हे गौतम । ते अवधिज्ञानी सम्षायी होय छे ! अषायी होती
भ ८७