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भगवती सूत्रे
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स्यात् नास्ति यस्य पुनरान्तरायिकं तस्य नाम नियमादस्ति ६ । यस्य खलु भदन्त ! गोत्रम् तस्य आन्तरायिकम् स्यादस्ति, स्यान्नास्ति, यस्य पुनरान्तरायिकं तस्य गोत्रं नियमादस्ति ॥ ०७ ॥
पुच्छा ) हे भदन्त ! जिस जीव के नामकर्म है उस जीव के क्या अन्तरायकर्म है ? और जिस जीव के अन्तरायकर्म है उस जीव के क्या नामकर्म है ? (गोमा ) हे गौतम! ( जस्स णामं तस्म अन्तराइयं सिय अस्थि सिय नस्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स णामं नियमा अस्थि ६ ) जिस जीव के नामकर्स है उस जीव के अन्तरायकर्म हो भी और न भी हो - ऐसा नियम नहीं है कि नामकर्म के सद्भाव में अन्तरायकर्म अवश्यंभावी हो । पर हां, यह नीयम है जिसके अन्तरायकर्मका सद्भाव है उस के नियम से नामकर्य है । (जस्ल णं भंते ! गोवं तस्स अन्तराइयं, जस्त अन्तराइयं तस्स गोयंपुच्छा ) हे भदन्त । जिस जीव के गोत्र कर्म का सद्भाव है क्या उस जीव के अन्तरायकर्म का सद्भाव है ? और जिस जीव के अन्तरायकर्मका सद्भाव है उस जीव के क्या गोत्रकर्म का सद्भाव है ? (गोमा) हे गौतम! ( जस्स गं गोयं तस्स अन्तराइयं सियअस्थि लिय नत्थि, जस्स पुण अन्तराइयं तस्य गोयं नियमा अत्थि) जिस जीव के गोत्रकर्म का सद्भाव है उसके अन्तराय का सद्भाव होता
( जस्स णं भंते ! णामं तस्स अंतराइय', जम्ब अंतराइय तस्स णामं पुच्छा ) હે ભદન્ત! જે જીવમાં નામકમ ના સદ્ભાવ હોય છે, તે જીવમાં શું અ’તરાય કના સદ્ભાવ હોય છે ? અને જે જીવમાં અંતરાય કના સદ્ભાવ હાય છે, તે જીવમાં શુ' નામક ના સદ્ભાવ હોય છે ?
( गोयमा ! )
गौतम । (जस्व णामं तस्स अंतराइय सिय अस्थि, सिय नस्थि, जस्स पुण अंतराइय तस्स णामं नियमा अत्थि ) ने मां नाभ કના સદ્ભાવ હોય છે, તે જીવમાં અંતરાય કના સદ્દભાવ હાય છે પણ ખા અને નથી પણુ હતા. પરન્તુ એ વાત તે અવશ્ય ને જ છે કે જે જીવમાં અંતરાય કના સદ્ભાવ હાય છે, તે જીવમાં નામકના પણુ સ लाव होय छे. (जस्स णं भंते ! गोयं तम्म्र अतराय, जस्स अतराइयां तस्म गोय पुच्छो) हे लहन्त ! ? मां गोत्रानो सहभाव होय छे, ते अवमांशु અંતરાય કને! સદ્ભાવ હોય છે? અને જે જીવમાં અતરાય કના સદ્लाव होय छे, ते मांशु गोत्रमनी सहभाव होय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम! ( जस्स णं गोय तस्तु अतराइय सिय अत्थि, सिय नथि, जस्स पुण अतराइय तस्स गोयं नियमा अस्थि ) ने लवमां ગેાત્રકમના સદ્ભાવ