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भगवती अवन्धको भवति । गौतमः पृच्छति-'जइ बधए कि देसबंधए सव्वबंधए? हे भदन्त । यः खलु तैनसशरीरदेशवन्धकः काम णशरीरवन्धको भवति स किं काम णशरीरस्यदेशवन्धकः, सर्वबन्धको वा भवति ? भगवान् उत्तरयति-'गोयमा । देसबंधए, नो सन्यवधए' हे गौतम । तेजसवन्धकः कामणिस्य देशबन्धको भवति, नो सर्व. वन्धकः । अथ काम णशरीरवन्धेन सहान्येषां वन्धान प्ररूपयति-'जरस णं भंते ! कम्मगसरीरस्स देमबधे, से णं भंते ! ओरालयसरीरस्स बंधए, अवंधए ? 'हे भदन्त ! यस्य खलु जीवस्य कार्मणशरीरस्य देशवन्धो भवति, हे भदन्त । स खलु देशव धक जीव (बंधए, नो अबंधए) कार्मणशरीर का बंधक ही होता है, अबंधक नहीं होता है। ____ अब इस विषय में गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-(जइ बंधए, किं देसबंधए, सव्वबंधए) हे भदन्त ! तैजसशरीर का देशवधक जीव यदि कार्मण शरीर का बंधक होता है तो क्या वह कार्मण शरीर का देशबंधक होता है या सर्वबंधक होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा) हे गौतम ! ( देसबंधए नो सव्वबंधए) तैजसशरीर का देशबंधक होता है, सर्वबंधक नहीं होता है।
अब खूनकार कार्मणशरीरबन्ध के साथ अन्य शरीरों के बंधों की प्ररूपणा करते हैं-इसमें गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछ रहे हैं-(जस्स णं भंते! कम्मगसरीरस्स देसबधे, से णं भंते ! ओरालिय सरीरस्स
महावीर प्रभुना उत्त२-“ गोयमा !" गौतम ! Arस शरीरन। रेशम ७१ “बधए नो अबधए " शरीरन। म य छ, અબંધક હોતો નથી.
गौतम स्वामीना प्रश्न-" जइ बधए, कि देसबधए, सव्वबंधए " હે ભદન્ત ! જે તે શરીરને દેશબંધક જીવ કામણુશરીરને બંધક હોય છે, તે શું તે કામણ શરીરને દેશબંધક હોય છે, કે સર્વબંધક હોય છે?
महावीर प्रभुना उत्तर-" गोयमा ! देसमधए नो सव्ववधए " 3 ગૌતમ! તે કામણ શરીરને દેશબંધક જ હોય છે–સર્વબંધક હેતે નથી.
હવે સૂત્રકાર કાર્મણ શરીરબંધની સાથે અન્ય શરીરના બધેની નીચે પ્રમાણે પ્રરૂપણ કરે છે –
આ વિષયને અનુલક્ષીને ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુને એવો પ્રશ્ન પૂછે छ है-( जम्स ण' मंते ! कम्मगसरीरस्स देसबधे, से ण भंते ! ओरालिय