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मगवतीसत्रे एवम् एष यथा प्रथमो दण्डकस्तथा अयमपि अपरिशेषो भणितव्यो यावत् वैमानिकः, नवरं मनुष्यो यथा जीवः, जीवाः खलु भदन्त ! औदारिकशरीरात् कति भणुस्से जहा जीवे ) हे गौतम ! एक असुरकुमार देव कदाचित् तीन क्रियाओंवाला, कदाचित् चार क्रियाओंवाला और कदाचित् पांच क्रियाओंवाला होता है- इस तरहसे पूर्वकी तरह कथन जानना चाहिये। इसी प्रकारसे यावत् वैमानिक देव श्री तीन चार आदि क्रियाओंवाले होते हैं ऐसा जानना चाहिये। मनुष्योंको जीवोंकी तरहसे जानना चाहिये । (जीवे णे भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइ किरिए ) हे भदन्त ! एक जीव परकीय औदारिक शरीरोंके आश्रयसे कितनी क्रियाओंवाला होता है ? (गोयमा ? सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए) हे गौतम जीव परकीय औदारिक शरीर के आश्रय से कदाचित् तीन क्रियावाला होता है यावत् कदाचित् अक्रिय होता है (नेरयिएण भंते ! ओरालियसरीरेहिंता कइ किरिए) हे भदन्त ! नरयिक औदारिक शरीरों के आश्रय से कितनी क्रियावाला होना है ? (एवं एलो जहा पढमो दंडओ तहा इमो वि अपरि सेलो भाणियन्यो जाव बेमाणिए नवरं मणुम्से जहा जीवे ) हे गौतम ! एक जीव परकीय औदारिक शरीरोंके आश्रयसे कनी तीन क्रियाओंवाला होना है, कभी चार कियाओंवाला होता है. ली गंच क्रियाओंवाला होता है और कभी विना क्रिया के वेमाणिए-नवरं मणुस्से जहा जीवे ) 3 गौतम ! ये मसुमार देव या२४ ત્રણ ક્રિયાઓવાળા, કયારેક ચાર ક્રિયાઓવાળે અને કયારેક પાંચ ક્રિયાઓવાળો હોય છે આ રીતે આગળ મુજબનું કથન જ અહીં સમજવું. એજ પ્રમાણે વૈમાનિક પર્ય તના દેવો પણ ત્રણ, ચાર અને પાંચ ક્રિયાઓવાળા હોય છે, એવું સમજવું પણ મનુષ્યના विषयमा वाना २r ४यन सभ. (जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिए ?) महन्त ! मे १ ५२वीय मोहा२ि४ शरीना सायथी दी ठियायवाणा होय छे ? (गोयमा ! सिय तिकिरिए जाच सिय अकिरिए) હે ગૌતમ જીવ પરકીય ઔદારિક શરીરના આશ્રયથી કેટલી વાર ત્રણ ક્રિયાવાળે હોય છે. यावत् अयि हाय छे. (नेराडेएणं भंते ओरालिय सरीरेहितो कइ किरिए ?) હે ભગ્ન નૈરયિક પન્કીય ઔદારિક શરીરના આશયથી કેટલી ક્રિયાવાળા હોય છે ? ( एवं एसो जहा पढमो दंडओ. तहा इमो वि अपरिसेसो भाणियव्यो जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे ) हे गौतम ! मे १ ५२४ीय ઔદારિક શરીરના આશ્રયથી કયારેક ત્રણ ક્રિયાઓવાળ હોય છે, કયારેક ચાર ક્રિયાઓવાળા હોય છે, ક્યારેક પાંચ ક્રિયાઓવાળ હોય છે અને કયારેક ક્રિયા રહિત