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भगवती सूत्रे
मनसा वचसा १', 'अवा न करेड़, न कारवेइ, मणसा कायसा १२, अथवा द्विविध प्राणातिपात द्विविधेन प्रतिक्रामन् स्वयं न करोति, अन्यद्वारा वा न कारयति मनसा कायेन १३, 'अहवा न करेइ, करेत णाणुजाण, मणसा वयसा १४, अथवा द्विविधं प्राणातिपात द्विविधेन करणेन प्रतिकामन् स्वयं न करोति, कुर्वन्तं वा नानुजानाति मनसा वचसा १४, ' अहवान करेइ, करें तं णाणुजाणइ मणसा कायसा १५, अथवा द्विविध प्राणातिपात द्विविधेन करणेन प्रतिक्रामन स्वयं न करोति, कुर्वन्तं वा नानु-
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अहवा न
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न करता है और न करवाता है । यह पांचवां विकल्प है - इसमें नौ भंग' कहे गये हैं. सो उन्हींको सूत्रकार कर रहे हैं- ' अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १२ ' अथवा द्विविध प्राणाणिणत का वह द्विविध प्रतिक्रमण करता हुआ उसे मनसे और कायसे स्वयं करता नहीं हैं और अन्य से उसे कराता नहीं है । करेह न कारवेइ वयसा कायसा १३' अथवा द्विविध प्राणातिपात का द्विविध प्रतिक्रमण करता हुआ वह उसे वचनसे और कायसे नहीं करता है और न कराता है । 'अहवा न करे, करेतं णाणुजाण लणसा कायसा १४' अथवा विविध प्राणातिपातका विविध से प्रतिक्रमण करता हुआ वह मनसे और वचन से इसे स्वयं न करता है, और न करते हुए की वह उनके द्वारा अनुमोदना करता है । अहवा न करेइ, करेतं णाणुजाणइ, मणसा कायसा १५ अथवा विविध प्राणातिपात का द्विविध प्रतिक्रमण करता हुआ वह उसे मनसे कायसे न स्वयं करता है और न उनके द्वारा करने वालेकी ' अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १२ (२) अथवा द्विविष प्राशातियातनुं દ્વિવિધ પ્રતિક્રમણ કરતા તે શ્રાવક મનથી અને વચનથી પ્રાણાતિપાત કરતા નથી અને અન્ય પાસે પ્રાણાતિપાત કરાવતા, નથી. अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा कायसा १३ (૩) અથવા િિવધ પ્રાણાતિપાતનું દ્વિવિષે પ્રતિક્રમણ કરતા શ્રાવક વચનથી અને કાયાથી પાતે પ્રાણાતિપાત કરતા નથી અને અન્ય પાસે પ્રાણાતિપાત 4 કરાવતા નથી. अदवा न करेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा १४ (૪) અથવા દ્વિવિધ પ્રાણાતિપાતનુ દ્વિવિષે પ્રતિક્રમણ કરતા તે શ્રાવક મનથી અને वयनथी अनुमोहन ¥श्ते। नथी. 'अहवा नकरेइ, करेत णाणुजाण, मणसा कायसा १५१ (३) द्विविष प्राशातियातनुं द्विविधे प्रतिभाणु उरते ते श्राव भयो भने अयाथी પ્રાણાાિત કરતા નથી અને મન અને વચનથી પ્રાણાતિપાત કરનારની અનુમેાદના
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