________________
६२६
भगवतीसो कारयति, कुर्वन्तं नानुजानाति, नानुमन्यते मनसा ५, 'अहवा न करेड, न कारवेइ, करे त णाणुजाणइ वयमा ६, अथवा त्रिविध प्राणातिपातम् एकविधेन पूर्वोक्तेन करणेन स्वयं न करोति, अन्यद्वारा न कारयति, कुर्वन्तं वा नानुजानाति, नानुमन्यते वचसा ६ ‘अहया न करेइ, न कारवेइ, करेत णाणुजाणइ कायसा ७, अथवा त्रिविधम् एकविधेन करणेन स्वयं न करोति, अन्यद्वारा न कारयति, कुर्वन्तं वा नानुजानाति कायेन ७, 'दुविहौं । तिविहेणं पडिक्सममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ८, द्विविध पूर्वोक्त कृतकारितादिलक्षणं प्राणातिपात त्रिविधेन मनःप्रभतिकरणेन प्रतिक्रामन् निन्दया ततो निवर्तमानः स्वय न करोति, अन्यद्वारा वा न कारयति, मनसा, वचसा, कायेन ८, · अहवा न करेइ, करेंत णाणु वालेकी अनुमोदना करता है। यह प्रथम भंग है. 'अहवा न करेइ न कारवेइ, करेतं नाणुजाणइ वयसा६' अथवा वह वचनसे माणातिपात को नहीं करता है, नहीं कराता है और न उसकी वह वचनसे अनुमोदना करता है। यह द्वितीय भंग है। ' अहवा-न करेइ, न कार वेह, करेतं नाणुजाणइ कायसा ७' अथवा वह कायसे प्राणातिपात को नहीं करता है, नहीं कराता है और करनेवालेको अनुमोदना नहीं करता है. यह तृतीय विकल्पका तीसरा भंग है। 'दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, मणसा वयसा कायसा ८' यह चतुर्थ विकल्प है जब वह श्रमणोपासक-श्रावक-कृत, कारित
आदि प्राणातिपात में से दो प्रकारके माणातिपातका त्रिविधसे-मन, . वचन और कायसे प्रतिक्रमण करता है-निन्दा द्वारा उससे दूर हो
जाता है-तब वह मनसे वचनसे और कायसे स्वयं उसे नहीं करता यया. मीaa Kin मा प्रभारी छ- ' अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा ६' मया वन्यनयी त प्रायातिपात ४२ती नथी, ४॥पता नयी मन क्यनथी तेना मनुभाहना ४२। नयी श्रीन 1 20 प्रभारी छ-'अहवा न करेइ, न कारवेइ करें। नाणुजाणइ कायसा ७' मया यायी ते प्रातिपात ४२त नथी, पता नयी અને કરનારની અનુમોદના કરતો નથી. આ રીતે ત્રીજા વિકલ્પના ત્રણે ભાગે સમજાવવામાં माया छे. 'दुविहं तिविहेणं पडिकममाणे न करेइ न कारवेइ, मणसा, वयसा कायसा ८' या या वि६५ जे न्यारे श्राप इत, रित भने अनुमाहित, मे ત્રણ પ્રકારમાંથી બે પ્રકારના પ્રાણાતિપાતનું ત્રિવિધે (મન વચન અને કાયાથી) પ્રતિક્રમણ કરે છે–નિન્દા દ્વારા તેને ત્યાગ કરે છે, ત્યારે તે મન, વચન અને કાયથી પિતે