________________
२७२
भगवतीसूत्रो निर्यग्योनिककर्माशीविषः, यावत् - नो चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिककर्माशीविषः, पश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिककर्माशीविषः, यः पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिक यावत्कर्माशी विवः किम् संमूच्छिमपञ्चेन्द्रियतियग्योनिक यावत् - कर्मागी विषः, गर्भव्युत्क्रान्तिकपञ्चेन्द्रियतियेग्योनिककर्माशीविपः, एवं यथा वैक्रियशरीरस्य भेदो यावत् - पर्याप्तसंख्येयवायुष्कगर्भव्युत्क्रान्तिकपश्चन्द्रियतिर्यग्योनिककाशीविपः, नो अपर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्कयावत् – कर्माशीविषः, यः मनुष्य विष है या यावत् पंचेन्द्रियतिर्य ग्योनिक जीव कर्माशीविष है ? - (गोयमा ) हे गौतम ! (नो एगिदिय तिरिक्ख जोगियकम्मासीविसे, जाव नो चरिंदिय तिरिक्ख जोणियकम्मासीविसे, पंचिंदियतिरिक्ख जोणियकम्मासीविसे) एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीव काशीविष नहीं है यावत चौइन्द्रियतिर्यग्योनिक जीव कर्माशीविष नहीं है, किन्तु पंचेन्द्रियतिर्य योनिक जीव कर्माशीविष है। (जह पंचिंदियतिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे, किं सच्छिम पंचिंदियतिरिक्खजोणिय कम्मा सीविसे, गम्भवक्कंतिय पंचिंटियतिरिक्खजोणियकम्मासोनिसे ?) हे भदन्त ! यदि पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकजीव कर्माशीविष है तो क्या संमूछिम पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीव कर्माशीविष है या गर्भजपंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकजीव कर्माशीविष है ? (एवं जहा वेउब्वियसरीरस्स भेदो, जान पजत्ता संखेन्जवासाउयगन्भवतिय पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, नो अपजत्तसंखेजवालाउय जाव कम्मासीविसे) યોનિ જીવ કમશીવિષ છે? યા યાવત-કે પાંચ ઈન્દ્રિયવાળા તિર્ય ચયોનીવાળા જીવ शुभाशीष छ ? 'गोयमा गौतम ! 'नो एगिदिय तिरिक्ख जोणिय कम्मासीविसे, जाव नो चउरिदिय तिरिक्ख जोणिय कम्मासीविसे, पंचिंदिय तिरिक्ख जोणियकम्मासीविसे, मेन्द्रिय तिय य योनील माशीविष नथी. यापत-बार ઈન્દ્રિયવાળા તિર્યંચ યોની છવ કશીવિષ નથી પર તુ પાચ ઈન્દ્રિયવાળા તિર્ય ચયોની ७५ भा१ि५ छ 'जइ पंचिंदिय तिरिक्खजोणिय कस्मासीविसे, कि संमुच्छिम पंचिंदिय तिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे, गमक्क तिय पंचिंदियतिरिक्रवजोणिय कम्पासीविसे' हे भगवन ने येन्द्रिय तिर्य य योनी ७ કશીવિષ છે ? તે શું સમુમિ પચેન્દ્રિય તિર્યંચ ની જીવ કમશીવિષ છે?
गर्भन ५व्येन्द्रिय तिर्य योनी ७५ ४ाशीविष छ ? एवं जहा वेउब्वियसरीरस्स भेदो जाव पज्जत्ता संखेज्जवासाउय, गन्भवतिय पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिय कम्मासीविसे, नोअपज्जत्त संखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे' हे गौतम