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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. १. १३ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १७५ परिणए किं पज्जत्तगन्भवक्क तिय- जाव - परिणए, अपज्जत्तगव्भवक्क तियमणुस्सपंचिदियओरालियस रीरकायप्पओगपरिणए ? ' हे भदन्त ! यद् द्रव्यं गर्मव्युत्क्रान्तिकमनुष्य - यात्रत् पञ्चेन्द्रियौदा रिकशरीर कायप्रयोगपरिणत भवति तत् किं पर्याप्तकगर्भव्युत्क्रान्तिक - यावत् - मनुष्यपञ्चेन्द्रियौदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत भवति ? अपर्याप्तगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रि यौदारिकशरीरकाय प्रयोगपरिणतं भवति ? भगवानाह - 'गोयमा ! पज्जत्तगव्भवक्क तिय- जाव - परिणए वा, अपज्जत्तगन्भवकं तिय जाव - परिणए-वा, हे गौतम! गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियौदा रिकशरीरकाय प्रयोगपरिणतं द्रव्यं पर्याप्तकगर्भव्युक्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियौदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत वा भवति, अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियौदा रिकशरीरकाय प्रयोगपरिणतं वा भवति, इत्या शयः । इति प्रथमो दण्डकः || मृ० १३ ॥
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पज्जत्तगन्भवक्कतिय जाव परिणए, अपजत्तगन्भवतिय मणुस्स पंचिदियओरालियरीर कायप्पओगपरिणए' हे भदन्त ! जो द्रव्य गर्भव्युक्रान्ति गर्भज मनुष्यप चेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोग से परिपणत होता है, वह द्रव्य क्या पर्याप्तक गर्भजमनुष्य पंचेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोग से परिणत होता है ? या अपर्याप्तक गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियके औदारिक गरीरकायप्रयोग से परिणत होता है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'पज्जत्तगम्भवकंतिय जावपरिणए वा, अपज्जत्तगग्भवक्कंतिय जाव परिणए वा' गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोग से परिणत द्रव्य पर्याप्त गर्भजमनुष्य पंचेन्द्रियके औदारिक शरीरकाय प्रयोगसे भी परिणत होता है और अपर्याप्त गर्भज मनुष्य पचेन्द्रियके औदारिक शरीरकायप्रयोग से भी परिणत होता है । यह प्रथमदण्डक है ॥ सू० १३ ॥
पज्जत्त गन्भवक्कतिय जाव परिणए, अपज्जत्तगव्भवक तिय मणुस्स पंचिंदिय ओरालि यसरीर कायप्पओगपरिणए ? हेलहन्त ! ने द्रव्य गर्भ व्युत्ान्ति ( गर्भ ४ ) મનુષ્ય ૫ ચેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયાગથી પરિણત હાય છે, તે દ્રવ્ય શુ પર્યાપ્તક ગ જ મનુષ્ય ૫ ચેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત હોય છે? કે અપર્યાપ્તક ગર્ભજ જ મનુષ્ય પચેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરકાયપ્રયોગથી પરિણત હાય છે ?
उत्तर- " गोयमा " हे गौतम । " पज्जत्तगभवक्कंतिय जाव परिणए वा, अपज्जत्तगग्भवतिय जाव परिणए वा " गर्भ ४ मनुष्य पयेन्द्रियना भौहारिङશરીરકાયપ્રયાગથી પરિણત દ્રવ્ય પર્યાપ્તક ગર્ભજ મનુષ્ય પચેન્દ્રિયના ઔદરિકશરીરકાય