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ममेयचन्द्रिका टीका श.६ उ.७ मु.२ गणनीयकालस्वरूपनिरूपणम्
सप्त माणाः स स्तोकः, सप्तस्तोकाः स लवः । लवानो सप्तसप्ततिः, एप मुहूत्तों व्याख्यातः ॥२॥ त्रीणि सहस्राणि, सप्तशतानि, त्रिसप्ततिश्चोच्छासाः ।
एष मुहूर्तों दृष्टः, सर्वज्ञैः अनन्तज्ञानिभिः ॥३॥ एतेन मुहूर्त्तप्रमाणेन त्रिंशमुहर्तोऽहोरात्रः, पञ्चदश अहोरात्रः पक्षः, द्वौ पक्षौ मासः, द्वौ मासौ ऋतुः, त्रयश्च ऋतवोऽयनम् द्वे अयने संवत्सरः, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो, एगे ऊसास--नीसासे एस पाणुत्तियुच्चइ) हृष्ट, अनवकल्प और निरुपक्लिष्ट ऐसे जन्तुका एक उच्छवास निःश्वास काल प्राण कहलाता है । (सत्त पाणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे, लवाणं सत्तहत्तरिए एम मुहुने विद्याहिए) सात प्राणोका एक स्तोक होता है, सात स्तोकोंका एक लव होता है । ७७ लवोंका एकमुहूर्त होता है (तिम्नि सहस्सा सत्तसयाई तेवतरिं च ऊसासा, एस मुहत्ता दिहो सव्वेहिं अणेतनाणीहिं) ३७७३ उच्छवासों का एक मुहूर्त होता है ऐसा अनन्तज्ञानियों ने अपने केवलज्ञान मे देखा है । (एएणं मुहत्तपमाणेणं तीसमुहुत्तो अहोरत्तो, पन्नरस अहो रत्ता पक्खो, दो पक्खा मासे दो मामा उऊ) इस मुहत्तोप्रमाण से तीस ३० मुहत्तो का एक दिन रात होता है। पन्द्रह १५ अहोरात का एक १ पक्ष होता है। दो पक्षों का एक मास होता है। दो मास की एक ऋतु होती है। (तिन्नि य उऊ अयणे) तीन ऋतुओं का एक अयन होता है
(इट्ठस्स अणवगल्लस्स निरुवकिस्स जंतुणो, एगे ऊसास-निसासे एसपाणुत्तिवच्चह) तुष्ट (प्रसन्न वित्तवास), मन४६५ (तरुण) मने तदुरस्त व्यतिना
-छवास निःश्वास ' ४ .
(सत्तपाणि से थोवे, सत्त थोवाई से लवे, लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए) सात प्राणेन। मे स्ते थाय छ, सात स्तान मे व थाय छ छ, भने ७७ सपनु मे भुत थाय छ (तिम्नि सहस्सा सत्तसयाइं तेवत्तरि च ऊसासा एस मुहत्तो दिट्ठो सम्वेहिं अणंतनाणीहि) 3७७३ २७वासानु में મુહુર્ત થાય છે, એવું અનંત જ્ઞાનીઓએ પિતાના કેવળજ્ઞાનથી અને કેવલ દર્શનથી नयु-१यु छे. __(एएण मुहत्तपमाणेण तीस मुहुत्तो अहोरत्तो, पन्नरसअहोरत्तो पक्खो दो पक्खा मासे, दो मासा उऊ) मा प्रा२ना ३० मुडतानो मेक्सि रात्रि થાય છે, ૧૫ દિનરાતનું એક પખવાડીયુ થાય છે, બે પખવાડિયાને એક માસ થાય मने ये भासनी मे तु थाय छ (तिनि य उऊ अयणे) ! *तुमानु मे४ २५न