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भगवतीसुत्रे
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माने = प्रवर्तमाने कति जनसाहरूयः कति लक्षाणि जना: 'वहियाओ' घातिता:= मारिताः ? भगवानाह - 'गोयमा ! चउरासीइं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ' हे गौतम ! चतुरशीतिः जनशतसाहरूयः चतुरशीतिलक्षसंख्यका जना घातिताः गौतमः पृच्छति - ' ते णं भंते । मणुया निस्सीला जाव - निपञ्चक्खाणपोसहोववासा' हे भदन्त ! ते खलु मनुष्याः निश्शीलाः यावत् निर्ब्रताः निर्गुणाः, निर्मर्यादाः, निश्शीलाः शुभभाववर्जिताः, निर्व्रताः प्राणातिपातत्रिरमणादिवतरहिताः, निर्गुणाउत्तरगुणरहिताः, निर्मर्यादा मर्यादावर्जिताः, निष्प्रत्याख्यान - पोषधोपवासाः प्रत्याख्यान- पोषधोपवासरहिता: 'रुट्ठा, परिकुविया, समरवहिया, अणुवसंता, कालमासे कालं किच्चा कहि गया कहिं उवत्रन्ना ? ' तत्र रुष्टाः = रोषमापन्नाः, परिकुपिताः क्रोधयुक्ताः, समरघातिताः = युद्धे मारिताः अत एव अनुपशान्ताः= उपशान्तभाववर्जिताः कालमासे मरणाऽवसरे कालं कृत्वा = मरणधर्ममाप्य कुत्रवहमाणे कहजणसय साहस्सीओ वहियाओ' हे भदन्त ! उस महाशिलाकंटक संग्रामके होने पर उसमें कितने लाख मनुष्योंका मरण हुआ है ? उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! 'सी' जणसवसाहस्सीओ वहियाओ' उस महाशिला कण्टकसंग्राम में ८४ लाख मनुष्य मारे गये हैं । अब गौतम प्रभुसे ऐसा पूछते हैं कि 'तेणं भंते । मणुया निस्सीला, जाव निपञ्चक्खाणपोसहोववासा' हे भदन्त ! जितने भी मनुष्य उस महाशिलाकंटकसंग्रा समें मारे गये हैं वे सब निःशील थे, यावत् प्रत्याख्यान और पोषधोपवास से रहित थे यावत् पदसे निर्व्रत वे प्राणातिपात विरमण आदितसे रहित थे, निर्गुण- उत्तरगुणोंसे रहित थे, निर्मर्याद मर्यादा से रहित थे 'रुट्ठा, परिकुविया, समरवहिया, अणुवसंता, कालमासे वहियाओ ?' डे महन्त । ते महाशिलाई 28 सग्राम थयो, त्यारे डेटा साथ માણસાના તેમાં સંહાર થયેા હતા?
भडावीर अभुने। उत्तर- 'चउरासीइं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ' हे गौतम! તે સંગ્રામમા ૮૪ લાખ મનુષ્ચા માર્યાં ગયા હતા.
गौतभ स्वाभाने। प्रश्न- ‘तेणं भंते ! मणुया निस्सीला, जाव निपच्चकवाणपोसहोवनासा' डे अन्त! ते सममां ने मनुष्यो भार्या गया तेयो निःशीस, નિવૃત (પ્રાણાતિપાત વિરમણુ આદિ તેથી રહિત), નિ`ણુ (ઉત્તર ગુણેાથી રહિત), भर्याद्वाथ रडित, प्रत्याख्यान अने घोषधोपवासेोथी रहित हुता रुट्ठा, परिकुविया, समरवहिया, अणुवसंता, कालमासे कालं किच्चा कहिं गया, कहिं उववन्ना?"