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________________ ४४ भगवतीमत्रो तिणि संवच्छराई' हे गौतम ! उपरि वर्णितानां धान्यानाम् अङ्कुराषुत्पादन वीजसामर्थ्य जघन्येन अन्तर्मुहूतं तिष्ठति, उत्कृप्टेन श्रीन संवत्सरान् वर्षत्रय पर्यन्तं तिष्ठति ‘तेण पर जोणि पमिलायइ' ततः परं वर्षत्रयानन्तरम् योनिः अङ्करोत्पादनहेतुभूतशक्तिः प्रम्लायति म्लाना भवति वर्णादिना हीयते, तेण पर जोणी पविद्धंसइ' ततः परं योनिः प्रविध्वंसते विनाशं प्राप्नोति, 'तेणपरं वीए अवीए भवइ ' ततः परं बीजम् अवीजं भवति क्षेत्रो उप्तमपि नाङ्कर मुत्पादयति कथं नोत्पादयेदित्याह-' तेणपर जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणा उसो !' हे श्रमणायुष्मन् ! हे गौतम ! ततः परं योनिव्युच्छेदः प्रज्ञप्तः हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं तिष्णि संवच्छराइ इन पूर्वोक्त शालि आदि धान्योकी अङ्करोत्पादन शक्ति जघन्यले तो अन्तर्मुहर्ततककी है और उत्कृष्टसे तीनवष तककी है। अर्थात् इतने समयतक ये अपने२ अङ्कुरोंको उत्पन्न करनेकी शक्ति शाली रहते हैं 'तेण परं' बाद में इसके 'जोणी पमिलायइ' उनकी योनि म्लान हो जाती है, अर्थात् वर्ण आदि द्वारा कमहीन हो जाती है। 'तेण पर जोणीपविद्धंसह वादमें क्षीण हो जाती है। तेण परं वीए अवीए भवई' क्षीण हो जानेके कारण वह चीज खेतमें डालेजाने पर भी अपने अङ्करको उत्पन्न नहीं कर सकता है । क्योंकि 'समणाउसो तेण पर जोणी वोच्छेदे पण्णत्ते' हे श्रमणायुष्मन् । इतने समयके निकल जाने पर उसकी योनिका विच्छेद कहा गया है। तना उत्तर भारता महापा२ प्रभु - 'गोयमा गौतम! 'जहण्णेणं अंतीमुहत्तं, उकोसेणं तिणि संवच्छराई ति Alla भाति धान्यानी કુત્પાદન શકિત જઘન્યની (ઓછામાં ઓછા કાળની) અપેક્ષાએ અતર્મુહૂર્તની અને અધિકમાં અધિક ત્રણ વર્ષ સુધીની હોય છે એટલે કે એટલા સમય સુધી તેમના भीमा ५२ रपन्न ४२वानी शहित २ छे. तेण पर, त्या२ मा 'जोणी पमिलायह तभनी योनी मान य तय छ-मटले तेवणे हीन थJ 1य छे. 'तेण पर जोणि पविद्धंसइ' त्या२ पाई योनि क्षीण थ य छ, 'तेण पर वीए अबीए भवह' यानि श्री १४ गया पछी, a virने त२मा पाव। छत पण ते पोताना २५ उरने 4-1 शतु नथी. २ ३ 'ममणाउसो तेण पर जोणी वोंच्छेदे पण्णत्ते' श्रमायुमन! कोटा समय व्यतीत थ६ गया पछी तनी એનિને વિછેદ થઈ જાય છે હવે ગૌતમ વામી વટાણા આદિ ધાન્યને વિષે પ્રશ્ન
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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