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________________ ६०२ भगवतीने पृच्छति-'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा ? ' हे भदन्त ! भोगाः किं सचित्ताः भवन्ति ? किंवा अचित्ताः भागा भवन्ति ? भगवानाह-गोयमा ! मचित्ता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा,' हे गौतम ! भोगाः गन्धादिप्रधानजीवशरीराणां कतिपयानां सब्ज्ञित्वात् सचित्ता अपि भवन्ति, अथ च कतिपयानां गन्धादिप्रधानजीवशरीराणाम् असज्ञित्वात् भोगा अचित्ता अपि भवन्ति । गौतमः पृच्छति-'जीचा णं भंते ! भोगा ? पुच्छा ?' हे भदन्त ! भोगाः किं जीवाः खलु भवन्ति ? किंवा भोगाः अजीवा भवन्ति ? भगवानाह-'गोयमा ! जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा' हे गौतम ! भोगाः जीवशरीराणां गन्धादिअब गौतमस्वामी प्रभुसे पूछते हैं कि 'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा' हे भदन्त ! भोग सचित्त हैं या भोग अचित्त हैं ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! सचित्ता वि भोगा, अचित्ता विभोगा' भोग सचित्त भी हैं और भोग अचित्त भी हैं। गन्ध आदि हैं प्रधान जिन में ऐसे कितनेक जीवशरीर संजी होते हैं इसलिये भोग सचित्त भी होते हैं तथा कितने गंधादिप्रधान वाले जीव शरीर असंज्ञी होते हैं इसलिये भोग अचित्त भी होते हैं । अब गौतम पूछते हैं "जीवाणं भंते भोगा-पुच्छा' हे भदन्त ! भोग क्या जीवस्वरूप होते हैं या भोग अजीव स्वरूप होते हैं ? भगवान् इसके उत्तरमें कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा' जीवोंके शरीर गंधादिसे युक्त होते हैं इसलिये जीतम २वामी ला विष मान प्रश्न पूछे छे 'सचित्ता भंते ! भोगा, अचित्ता भोगा!' महन्त । सायत्त छ, मथित्त छ ? __त्त२ - 'गोयमा सचिता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा? 8 गौतम ભોગ સચિત્ત પણ છે. અને ભેગ અચિત્ત પણ છે જેમનામાં ગંધ આદિ પ્રધાન હોય છે એવાં કેટલાંક જીવ–શરીર સન્ની હોય છે, તેથી ભગ અચિર પણ હોય છે તથા કેટલાંક ગ ધાદિપ્રધાન અસ શી હોય છે, તેથી ભેગ સચિત્ત પણ હોય છે. દાત. ગધયુક્ત ફૂલ સચિત્ત છે, અત્તર અચિત્ત છે. वे मागने विष गौतम स्वामी जीन प्रश्न पूछे छे, ' जीवाणं भंते ! भोगा पुच्छा 13 महन्त ! शुमा ७५ २१३५ डाय के लोग भ94 स्१३५ खाय छे ? उत्तर - ' गोयमा जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा । गौतम ! माग જવરવરૂપ પણ હોય છે, અજીવ સ્વરૂપ પણ હોય છે જીવોનાં શરીર ગંધાદિથી યુક્ત
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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