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भगवती सूत्रे
तद्यथा - सर्वस्मात् प्राणातिपातात् दिरमणम्, यावत् - सर्वस्मात् परिग्रहाद् विरमणस् । देशसूलगुण प्रत्याख्यानं खलु भदन्त ! कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पञ्चविधं पज्ञप्तम्, तद्यथा-स्थूलात् प्राणातिपाताद् विरमणम्, यावत्-स्थूलात् परिग्रहाद् विरमणम् | उत्तरगुण प्रत्याख्यानं खलु भदन्त ! कतिविधं प्रज्ञप्तम ? गौतम ! द्विविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा - सर्वोत्तरगुणप्रत्याख्यानं च देशोत्तरगुणख्यान पाँच प्रकार का कहा गया है (तं जहा ) उसके वे पांच प्रकार ये हैं - (सव्चाओ पाणाइवायाओ वेरमणं) समस्त प्राणातिपात से विरक्त होना, 'जाव सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं) यावत् समस्त परिग्रह से विरक्त होना (देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते! कइ विहे पण्णत्ते) हे भदन्त ! देशमूलप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? (गोयमा) हे गौतम ! (पंचविहे पण्णत्ते) देशमूलगुणप्रत्याख्यान पाँच प्रकार का कहा गया है । (तं जहा ) वे पांच प्रकार ये हैं - (धूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव धूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं) स्थूल प्राणातिपात से विरक्त होना, यावत् स्थूल परिग्रह से विरक्त होना । (उत्तरगुणपचखाणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते) हे भदन्त ! उत्तरगुण पत्याख्यान किने प्रकार का कहा गया है ? (गोयमा) हे गौतम ! (दुविहे पण्णत्ते) उत्तरगुण प्रत्याख्यान दो प्रकार का कहा गया है । (तं जहा ) वे दो प्रकार उसके ऐसे हैं - (सव्युत्तरगुणपच्चक्खाणे य, देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे य) सर्वोत्तरगुणप्रत्याख्यान और देशोत्तरगुण
( पंचविहे पण - तं जहा ) सर्वभूतगुणु प्रत्याभ्यानना भी प्रभागे यांथ प्रकाश या छे- ( सचाओ पाणाइवायाओ वेरमणं) (१) समस्त प्राणातिपातथी विरक्त थ. (२) समस्त भृषावादथी निवृत्त वुं ( 3 ) समस्त महंत्ताहानथी निवृत्त वुं (४) समस्त मैथुनथा निवृत्त थर्वु अमे (4) समस्त परिग्रहथी निवृत्त थर्यु. ( देसमूल गुणपच्चक्खाणं भते ! कइविहे पण्णत्ते ?) से लहन्त ! हशभूतगुणु अत्याध्यानेना डेंटला प्रकार छे ? (गोयमा !) हे गौतम! (पंचविहे पण्णत्ते तं जहा ) हेराभूसगुप् अत्याध्यानना या अभाऎ यांथ अर ४ छे (धूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं जाव थूलाओ परिग्गदाओ वेरमणं) स्थूल आयातिपातथा विश्स्त थयुं, 'यावत्' स्थूल परियहुथी वि२४त थर्यु. उत्तरगुण पच्चक्खाणं भंते! कइ विहे पण्णत्ते ?) डे लन्त ! उत्तरगुए अत्याध्यानना डेंटला अठार ४ छे ? (गोयमा !, दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम! उत्तरगुणुप्रत्याच्यानना मे अार ४ . ( तं जहा ) वां } ( सच्युत्तरगुणपच्चक्खाणे