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भगवतीसूत्रे
अस्ति संभवति खलु सौधर्मेशानयोर्मध्ये चन्द्राभा चन्द्रप्रकाशः इति वा, सूर्याभा सूर्यप्रकाशः इति वा ? भगवानाह - 'गोयमा ! णो इणट्टे समदे' हे गौतम ! नायमर्थः समर्थः सौधर्मेशानयोर्मध्ये चन्द्रप्रकाशादयों न संभवन्ति । एवं सणकुमार - माहिंदेसु' एवं सौधर्मेशानवत सनत्कुमार- माहेन्द्रयोः कल्पयोर्मध्ये ऽपि गेहादिरूपणं यथायोग्यं कर्तव्यम् किन्तु 'णवरं देवो एगो पकरेड़' नत्ररम् - सौधर्मेशानापेक्षया विशेषस्तु अयमेव यत् सनत्कुमार - माहेन्द्रयोर्मध्ये मेघानां संस्वेदनादिकं केवलं देवः एव एकः मकरोति, नो असुरः, नापि नागकुमार इत्यर्थः तथाऽत्र सौधर्मेणानचत् कथनेन सनत्कुमार- माहेन्द्रयो स्तदतिदेशलाभात् अत्रापि वादायफायवनस्पतिकायसंभवः प्रतीयते, तयोश्चात्र
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ऐसा पूछते हैं कि 'अस्थि णं भंते । चंद्राभाइ वा' सूराभाइवा हे भदन्त ! सौधर्म और ईशान में चन्द्रप्रकाश और सूर्यप्रकाश हैं क्या ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं कि - 'गोमा' हे गौतम ! ' णो णट्टे सम यह अर्थ समर्थ नहीं हैं - अर्थात सौधर्म और ईशान में चन्द्रप्रकाश आदि नहीं हैं 1 एवं सणकुमारमा हिंदेसु ' सौधर्म ईशानकी तरह सनत्कुमार और माहेन्द्र इन कल्पों में भी गेहादिकी प्ररूपणा यथायोग्य कर लेनी चाहिये | किन्तु 'णवरं देवो एगो पकरेह' सौधर्म और ईशान कल्पकी प्ररूपणाकी अपेक्षा जो सनत्कुमार और माहेन्द्रकी प्ररूपणा में अन्तर है वह इतना ही है कि सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्प में मेघों का संस्वेदन आदि केवल एक देव ही करता है, न असुरकुमार करता है और न नागकुमार ही करता है । सौधर्म ईशान की तरह सनत्कुमार और माहेन्द्र में भी ऐसा ही समझना चाहिये ऐसा जो कहा गया है उससे यह बात जानी जाती है कि यहां सनत्कुमार और माहेन्द्र में भी वादर अप्काय और बादर वनस्पति
प्रश्न- 'अस्थिणं भते ! चंदाभाइ वा सराभाइ बा?' हे लहन्त ! सौधर्म અને ઇશાન કલ્પેમાં શુ ચન્દ્રમા અને સૂર્યના પ્રકાશ સભવી શકે ?
उत्तर- 'णी इणट्टे स मट्टे' हे गौतम ते जन्ने उपोभां यन्द्राहिन। प्राश होतो नयी एवं सगं कुमारमादेिसु' सौधर्भ' प्रथान उदयन नेवु उथन रवामां આવ્યુ છે, એવુ જ કથન સનકુમાર અને માહેન્દ્ર કલ્પાના વિષયણાં પણ કરવું જોઇએ. ''' સૌધર્મ અને ઈશાન કલ્પની પ્રરૂપણા કરતા અનત્કુમાર અને માહેન્દ્રની भयणाभां । अभाये विशेषता छे- 'देवो एगो पकरेइ' सनत्कुमार भने माहेन्द्र योभ મેઘાનુ સ’સ્વેદન આદિ કા એકલા દેવા જ કરે છે. અસુરકુમાર કે નાગકુમાર કરતા નથી. સીંધમ અને ઇશાન પેાના જેવુ જ કથન સનત્યુમાર અને માહેન્દ્ર કલ્પના વિષયમા સમજવું”, આ કથનને આધારે એ વાત પણ નક્કી થાય છે કે આ અને