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प्रमेयचन्द्रिका टी० ० ५ ७०९ सू० २ प्रकाशान्धकारस्वरूपनिरूपणम् १९५ नो अन्धकारः । गौतमः पृच्छति-से केणढेणं० ?' हे भदन्त ! तत् केनार्थन अमुर कुमाराणां प्रकाश एव भवति, नो अन्धकारः १ भगवानाह-'गोयमा ! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे ' असुरकुमाराश्रयादीनां भास्वरत्वात् तेषां शुभाः पुदगला भवन्ति, शुभश्च पुद्गलपरिणामो भवति, 'से तेणटेणं' हे गौतम ! तत् तेनार्थेन एवमुच्यते असुरकुमाराणां प्रकाशो भवति, नो अन्धकार इति ! तथा-'जाव थणियकुमाराणं' यावत्-स्तनितकुमाराणाम् उद्घोतो भवति, नो अन्धकार इत्यर्थः, यावत्करणात्-नागकुमाराणाम् सुवर्णकुमारविद्युत्कुमाराग्निकुमार-द्वीपकुमाराणाम् उदधिकुमाराणां दिवकुमार-वायुकुमाराणां यहां उद्योत ही रहता है, अंधकार नहीं-(से केणटेणं) ऐसा क्यों होता है ? तो इस गौतम के इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं (गोयमा) हे गौतम ! असुर कुमाराणं सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे ) असुरकुमारों के यहां जो पुद्गल हैं वे शुभ हैं और वहाँ शुभ पुद्गल परिणाम है । तात्पर्य कहने का यह है कि असुरकुमारों के जो आश्रय-रहने के स्थान आदि होते हैं वे भारवर प्रकाशयुक्त होते हैं अतः उनके पुद्गल शुभ होते हैं-इस कारण वहां उद्योत रहता है अंधकार नहीं । तथा इसका परिणाम भी शुभ ही होता है-(से तेणढणं) इस कारण हे गौतम ! मैंने ऐसा कहा है कि असुरकुमारों के यहां उद्योत ही उद्योत रहता है, अंधकार नहीं। तथा (जाव थणियकुमाराणं) ऐसा जो कहा गयो है सो उसका अभिप्राय यह है कि इसी तरह से प्रकाश ही प्रकाश नागकुमार, सुवर्णकुमार, विद्याकुमार अग्निकुमार, दीपकुमार, उदधिकुमार, दिक्कुमार, वायुकुमार और स्तनितઅસુરકુમારનાં નિવાસસ્થાનમાં પ્રકાશ જ હોય છે, ત્યાં અંધકાર હોતું નથી..
48--" से केणढेण" 3 महन्त ! मा५ ॥ २ मे ४ छ। ?
मडावीर प्रभु तेन नाम मापे छ-(गोयमा! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे) 8 गौतम! असुरसुमाराना निवासमा २ पुस डाय છે તે શુભ હોય છે અને ત્યાં શુભ પુલ પરિણામ હોય છે. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે અસુરકુમારોનાં નિવાસસ્થાનો પ્રકાશયુક્ત હોય છે. તેથી તેમનાં પુલ શુભ હોય છે. તે કારણે ત્યાં પ્રકાશ જ રહે છે, અંધકાર રહેતો નથી. '' से तेणठेण" के गौतम ! a pो में से ४थु छ है मसुरशुभाशनi माश्रयस्थानमा प्राय छ, त्यो मार डात नथी. (एव जाव थणियकुमाराणं) मे प्रभारी नागभार, सुमार, विधुत्भार, मसिाभार, . દ્વિીપકુમાર, ઉદધિકુમાર, દિકુમાર, વાયુકુમાર અને સ્વનિતકુમારનાં ભવને,