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भगवतीसूत्रे
हेतुम् अभिसमागच्छति, हेतुं छास्थमरणं म्रियते । पश्च हेतवः प्रज्ञशाः, तद्यथाहेतुना जानाति, यावत - हेतुना छद्मस्थमरणं म्रियते । पञ्च हेतवः प्रज्ञताः, तद्यथा - हेतुं न जानाति, यावत्-अज्ञानमरणं म्रियते पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाहेतुना न जानाति, यावत् - हेतुना अज्ञानमरणं म्रियते । पञ्च अहेतवः प्रज्ञप्ताः,
इस प्रकार से हैं ( हे जाणइ ) एक हेतु वह है जो हेतु को जानता है दूसरा हेतु वह है जो (हे पासइ ) हेतु को देखता है । तीसरा हेतु वह है जो (हे बुझइ ) हेतु के ऊपर अच्छी तरह से श्रद्धा करता है । चौथा हेतु वह है, जो ( हेउं अभिसमागच्छ ) हेतु को अच्छी तरह प्राप्त करता है। पांचवा हेतु वह है, जो (हेउंछ उमत्थमरणं मरह ) हेतु वाले उधारथभरण को करता है । ( पंच हेक पनप्ता ) पांच हेतु कहे गये हैं । (तं जहा ) वे इस प्रकार से हैं- ( हेउणा जाणह ) जो हेतु के द्वारा जानता है एक वह हेतु है, (जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ ) यावत् जो हेतु द्वारा छद्मस्थ मरण करता है वह पांचवा हेतु है
।
(पंचहे पण्णत्ता) पांच हेतु कहे गये हैं (तं जहा ) वे इस प्रकार से हैं। ( ह ण जाणइ ) जो हेतु को नहीं जानता है । ( जाव अन्नाणं मरणं मरह ) यावत् अज्ञानमरण करता है । (पंच हेऊ पण्णत्ता) पांच हेतु कहे गये हैं ( तं जहा ) वे इस प्रकार से हैं - ( हेउणा ण जाणइ ) जो
तुभां वर्तमान पुरुष मे छे (हेउ पासइ) हेतुने हेो
प्रभाणे छे--( हेउ' जाणइ ) मे हेतु भेटते ' ? हेतुने लगे छे. जीले हेतु मे छे ! छे, श्रीले हेतु मे छे े ? ( हेउ वुन्झइ ) हेतु उपर सारी रीते श्रद्धा राभे छे, थोथे। हेतु थे छे } ? ( हेउ' अभिसमागच्छइ.) हेतुनी सारी रीते आसि १रे छे. पांयभेो हेतु मे छे ? ( हेउ' छउमत्थमरणं मरइ ) हेतुयुक्त छद्मस्थ મરણને પ્રાપ્ત કરે છે.
प्रभा
( पंच हेऊ पण्णत्ता ) हेतु पांथ ह्या छे ( तजहा ) ते भा - ( हेउणा जाणइ ) " थे हेतु ( अथवा हेतुमां वर्तमान पुरुष ) मे छे ? हेतु द्वारा लागे छे, " ( जाव हेरणा छउमत्थमरण' मरइ ) પ્રાપ્ત કરે છે તે પાંચમા
ત્યાંથી શરૂ કરીને જે હેતુ દ્વારા છદ્મસ્થ મરણને
हेतु छे, " त्यां सुधीनुं समस्त उथन श्रणु ४२ (पंच हेऊ पण्णत्ता ) हेतु
उद्या छे. ( त जहा ) ते नीचे प्रमाणे छे - ( हेउ ण जाणइ ) " हेतुने