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भगवती शृङ्गाटक-त्रिक-चतुष्क-चत्वर-चतुर्भुव-महापथाः परिगृहीता भवन्ति, शकटरभ-यान-युग्य-गिल्लि-थिल्लि-शिविका-स्यन्दमानिकाः परिगृहीता भवन्ति, लौही-लोहकटाह-कटुच्छुकानि परिगृहीतानि भवन्ति, भवनानि परिगृहीतानि भवन्ति, देवाः, देव्यः, मनुष्या', मनुष्यः, तिर्यगयोनिकाः, तिर्यगयोनयः; आसन-शयन-स्तम्भ-भाण्ड-सचिता-s-चित्तमिश्रितानि द्रव्याणि परिगृहीतानि लेण-आत्रणा परिग्गहिया भवंति ) प्रासाद, गृह शरण, लयन, आपण दुकान ये सब परिगृहीन होते है। (सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चरचउम्नुह-महापह परिग्गहिया भवति ) शृंगाटक, त्रिक, चतुष्क, चत्वर चतुर्मुख और महापथ ये सब मार्ग इनसे गृहीत होते है । (सगडरह-जाण-जुग्ग-गिल्लि, दिल्ली सीय-संदमागियाओ परिग्गहियाओ भवंति)शकट, रथ,यान युग धुरा गिल्लि (हाथीकाहोद्दा) (थिल्ली) शिषिका ओर स्यन्दमानिका ये सब वाहन इनके द्वारा परिगृहीत होते है (लोही, लोहक हाह, कच्छुया, परिग्गहिया भवंति ) तवा, लोहेकी कडाही, क. रछली-ये सब परिग्रह इनके पास रहता है। (भवणा परिग्गहिया भवंति ) भवन भी परिगृहीत होते हैं ( देव, देवीओ, मणुस्सीओ तिरिस्खजोणिया, तिरिक्खजोणिणीओ ओसण-सयण-खड-भंड-सचित्ता चित्तमीसियाई दवाइं परिग्गहियाई भवंति ) देव, देवियां, मनुष्य, मनुष्यणियां, तिर्यञ्च, तियश्चनियां, आसन, शयन, खंड, भांड, सचित्त, (२२४भडस), घर, २२ (पशु ), सयन (पतनी महतरीन બનાવેલાં ઘર) આપણ (દુકાન) આદિને પરિગ્રહ પણ તેઓ કરતા હોય છે. (सिंघाडग, तिग, चउक्क, चच्च, चउम्मुह, महापह, परिग्गहिया भवंति ) तमा
ગાટક, ત્રિક ( જ્યાં ત્રણ રસ્તા મળતા હોય એવું સ્થાન ), ચેક, ચતુર્મુખ (या२ वाशवाणु स्थान ) मने सभागना परिघ ४२ता खाय छे. (सगड, रह, जाण, जुग्ग, गिल्लि, थिल्लि, सीय, संदमाणियाओ-परिग्गहियाओ भवति) तेशी गाi, २थ, यान, यु (घांसरी), Eिeी (थाना लादो या दी), થિલી (બગી), શિબિકા, સ્કન્દમાનિકા આદિ વાહનેને પરિગ્રહ કરતા હોય छ. (लोही, लाहकडाह, कडुच्चुया, परिगहिया भवति ) ताप, खोटानी जी, ४२७४ी महिना तम परिश्रड ४२ छे, (भवणा परिगहिया भवति) तेस। सपनामा परियड ४२ छ.) देवा, देवीओ, मणुस्सा, मणुस्मीओ, तिरिक्खजोणिया, तिरिक्खजोणिणीओ, आसण, सयण, खंड, भंड, सचिताचित्तामीसियाई दव्वाइं परिगहियाई भवति ) देव, वीसी, मनुष्य, मानवमीमा तिय"य, तिथ यएम, . मासन, शयन (शय्या), म, मांड, सथित्त, मथित्त मन भित्र ।