________________
प्रमयबन्दिका टीश०५३०७८०७ नैयरिकादीनामारंभानारंभादि निरूपणम् ५४६ समारभन्ते, यावत्-त्रसकार्य समारभन्ते, शरीराणि परिगृहीतानि भवन्ति, कर्माणि परिगृहीतानि भवन्ति, सचित्ता-चित्त-मिश्रितानि द्रव्याणि परिगृहीतानि भवन्ति, तत् तेनार्थेन तदेव । असुरकुमारोः खलु भदन्त ! किं सारम्भाः पृच्छा गौतम ! अमरकुमाराः सारम्भाः, सपरिग्रहाः, नो अनारम्भाः, नो अपरिग्रहाः । तत् केना. (से केणटेणं जाव अपरिग्गहा ) हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि नारक आरंभ और परिग्रह से सहित हैं आरंभ परिग्रह से रहित नहीं हैं ! (गोयमा ) हे गौतम । ( नेरझ्याणं पुढविज्ञायं समा रंभति, जाव तसकायं समारंभंति ) नारक पृथ्वीकाय का यावत् त्रसकाय का समारंभ करते हैं ( सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति, सचिताऽचित्तमीसियाई व्वाइं परिग्गहियाई भवंति-से तेणटेणं तंचेव) उन्होंने शरीरका परिग्रहण कर रखा है, कर्मों का वे परि ग्रहण करते हैं। सचित्त अचित्त और मिश्र परिग्रहको उन्होंने ग्रहण कर रखा है-इस कारण हे गौतम । मैंने एसा कहा है कि नारक आरंभ सहित हैं,परिग्रह सहित हैं आरंभ और परिग्नहसे रहित नहीं हैं । (असुरकुमाराणं भंते ! कि सारंभा पुच्छा) हे भदन्त ! असुरकुमार देव क्या आरंभ और परिग्रह से रहित हैं ! ( गोयमो ) हे गौतम ! ( असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा णो अणारंभा णो अपरिग्गहा) असुरकुमार देव आरंभ और परिग्रह सहित हैं, आरंभ और परिग्रह से रहित કહે છે કે નારક છ આરંભ અને પરિગ્રહવાળા છે, અને આરભ-પરિગ્રહ दिनाना नथी. १ ( गोयमा ! नेरइयाणं पुढविक्काय समार मति, जाव तसकार्य समारभति) 3 गौतम ! ४ । पृथ्वीन्यथा सन साय पर्यन्तन सभा ४२ , (सरीर। परिग्गहिया भवंति, कम्मा पग्गिहिया भवति, मचित्ता 5 चित्तमीसिवाई व्वाइं परिग्गहिया भवति-से तेणटेणं तचे) तभी શરીરને પરિગ્રહ કરેલ હોય છે, તેઓ કમેને પરિગ્રહ કરતા હોય છે, વળી તેઓ સચિત્ત, અચિત અને મિશ્ર (સચિત્તાચિત્ત) દ્રવ્યોને પણ પરિગ્રહ ४२॥ जय छ. तथा तभने माल भने परियाणा ४ा छ. (असुरकुमारा णं भंते ! किं सारं'भा पुच्छा ?) 3 महन्त ! मसुरभा२ हेवा शुभारम અને પરિગ્રહવાળા હોય છે? અથવા આરંભ અને પરિગ્રહ વિનાના હોય છે ? (गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा,सपरिगाहा,णो अणारभाणो अपरिगहा) है गौतम ! અસુરકુમાર દેવ આરંભ અને પરિગ્રહવાળા હોય છે, તેઓ આરંભ અને પરિ