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प्रमेयचन्द्रिका टी० श० ५ उ० १ सू० २ रात्रिदिवस स्वरूपनिरूपणम्
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ही दीवे' जम्बूद्वीपे द्वीपे ' दाहिणड्ढे ' दक्षिणार्थे दक्षिणभागे 'उकोसए' उत्कृष्ट सर्वापेक्षा दीर्घः 'अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवई' अष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवतिमुहूर्तघटिकाद्वयम् इतिरीत्या पत्रिंशदण्डात्मकघटिकाप्रमाणः ' तयाणं ' तदा खलु ' उत्तरड्ढे वि ' उत्तरार्धेऽपि उत्तरभागेऽपि ' उक्कोसए ' उत्कृष्टः ' अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ' अष्टादशमुहूर्ती दिवसोभवति, सुर्यद्वय सद्भावेनैव पूर्ववद्बोध्यम् ' जयाणं ' यदा खलु ‘ उत्तरड्ढे ' उत्तरार्धे ' उक्कोसए ' उत्कृष्टः ' अट्ठारसमुहुत्ते दिवसेभवइ ' अष्टादशमुहूर्ती दिवसो भवति ' तयाणं ' तदा खलु 'जंबु - वे दीपे ' जम्बूद्वीपे द्वीपे ' मंदरस्स पन्त्रयस्स पुरत्थिग - पच्चत्थिमेणं ' मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्य - पश्चिमे खलु पूर्वपश्चिमभागे ' जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई - भवइ' जघन्यिका द्वादशमुहूर्त्ता रात्रिर्भवति किम् ? भगवानाह - ' हंता, गोर्यमा ।"
(जया णं भंते !) इत्यादि । गौतम प्रभु से पूछते हैं कि हे भदन्त ! जया ण) जब (जंबुद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप नामके द्वीप में (दाहिंणड्ढे ) दक्षिणा में दक्षिणदिग्भाग में ( उक्कोसए) अधिक से अधिक प्रमाणवाला संपकी अपेक्षा बडा - ( अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) अठारह मुहूर्त्त का दिन होता है, ( तया णं उत्तरड्ढे वि) तब उत्तराध में भी उत्तर दिग्भाग में भी (उक्कोसए) उत्कृष्ट सब की अपेक्षा' बंडा ( अट्ठारमुत्ते दिवसे भवइ ) अट्ठारह मुहूर्त का दिवस होता है - इस तरह दो सूर्य के सद्भाव से जब सब से बड़ा दिन दक्षिणार्ध और उ
रा में होता है तब क्या (जंबूद्दी वे दीवे) जंबूद्वीप में (मंदरस्स पञ्चयस्स पुरत्थिम- पच्चत्थिमेणं) मंदरपर्वत के पूर्व पश्चिम दिशा में- पूर्व पश्चिम भाग में (जहणिया) सर्व से कम प्रमाण वाली (दुवालसमुहुत्ता) बारहमुहूर्त्त की (राई भवइ ) रात्रि होती है ? मुहूर्त्त दो घड़ी का होता
णं भते ) इत्याद्दि गौतमना अश्न - ( जया णं भते ! ) डे लहन्त ! क्यारे (जंबुदीवें दीवे) यूद्रीपनाभना द्वीपना ( दाहिणड्ढे ) ६क्षिणाभां ( उक्कोसए ) पधारेभा वधारे अभाएणुषाणो ( अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ) मदार भुहूर्त नी दिवस थाय छे, ( तया णं' उत्तरदे वि . ) त्यारे उत्तरार्धभां पशु ( उक्कोसए अरिमुत्ते दिवसे भवइ ) वधारेभां पधारे सांभा १८ भुहूर्तना हिवस थाय છે, ( આ રીતે એ સૂયના સદ્ભાવથી ખન્નેમાં દક્ષિણા અને ઉત્તરા માંक्यारे सौथी भोटो दिवस थाय छे ) त्यारे शु' (जबुद्दीवे दीवे ) ४ भूद्वीपभां (मंदर पत्रयस् पुरथिम - पन्चत्थिमेण ) भर पर्यंतनी पूर्व मने पश्चिम हिशाभां (जहणिया ) सौथी मोछा प्रभाशवाणी (अभां टूडी ) (-दुवालससुत्ता) बार मुहूर्तनी (राई भवइ ) रात्रि थाय छे ? में घटी भेटला समयनुं