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भगवतीसूत्रे २५. 'दाहिंणड़े' दक्षिणार्धे दक्षिणदिग्भागे 'दिवसे हव्वइ' दिवसो भवति, 'तयाणं' तदा खलु 'उत्तरड्ढेऽवि' उत्तरार्धेऽपि उत्तरदिग्भागेऽपि 'दिवसे हवइ ' दिवसो भवति 'तयाणं ' तदा खल्ल किम् 'जंबुद्दीवे दीवे' जंबूद्वीपे द्वीपे 'मंदरस्स पव्वयस्स' मन्दरस्य पर्वतस्य 'पुरस्थिम-पच्चत्थिमेणं ' पौरस्त्य-पश्चिमे खलु पूर्व पश्चिममागे 'राई भवइ' रात्रिर्भवति किम् ? भगवानाह-'हता, गोयमा !' हे
गौतम स्वामी प्रभु से पूछते हैं कि हे भदन्त ! जव (जंबुद्दीवे दीये) जम्बूद्वीप नामके द्वीप में-अध्यजबूद्वीप में (दाहिणड्ढे ) दक्षिणार्ध में दक्षिणदिग्भाग में-(दिवसे भवइ ) दिवस होता है, (तया णं) तय ( उत्तरड्ढे वि) उत्तरार्ध में भी-उत्तरदिग्भाग में भी (दिवसे हवइ) दिवस होता है तो क्या उस समय (जंबुद्दीवे दीवे ) मध्य जंबूद्वीप में (मंदस्स पव्वयस्स) भन्दर पर्वत की ( पुरथिमेणं पच्चत्यिमेणं) पूर्व और पश्चिम दिशा में पूर्वपश्चिमदिग्लाग में ( राई भवइ ) रात्रि होती है ? इसका अभिप्राय ऐसा है कि अपरके सूत्रद्वारा ऐसा कहा गया है कि सूर्य चारों दिशाओं में गमन करता है तो इससे तो यही समझा जा सकता है कि उसका प्रकाश सदा कायम फैलता रहता है-जब ऐसी बात है तो फिर कहीं रात्रि और कहीं दिवस ऐसा विभाग कैसे बन सकता है ? अर्थात् नहीं बन सकता । क्यों कि इस प्रकार की मान्यता से तो सर्वत्र दिवस ही रहना चाहिये । परन्तु ऐसा तो होता नहीं है । सो इसका कारण क्या है ? इसके समाधान निमित्त ऐसा कहा गया है कि यद्यपि सूर्य चारों दिशाओं में गति करता
जीतभस्वामी महावीरप्रभुने पूछे छे 2-सता न्यारे (जबुद्दीवे दीवे) पूरी५ नामना बीमi (मध्य मूद्वीपमा) (दाहिणड्ढे) क्षिामा (इक्षि HिII ५y “ दिवसे भवइ" हिवस थाय छ ? " तयाण" त्यारे " उत्तरड्ढे वि) शु उत्तरार्धमा पY ( दिवसे भवइ) हिवस थाय छे) मने त्यारे (जंबुद्दीचे दीवे) मध्य द्वीपमा मावेसा ( मंदरम्स पव्वयस्स) महर (सुमेर ) पतनी (पुरथिमपच्चारिथमेण') पूर्व भने पश्चिम दिशामा ( पूर्व पश्चिम हिमामा ) शु ( राई भवइ ) रात्रि होय छ ? गौतम स्वामीना પ્રશ્નનું તાત્પર્ય એવું છે કે પહેલા સૂત્રમાં એવું બતાવવામાં આવ્યું છે કે સૂર્ય ચારે દિશાઓમાં ભ્રમણ કરે છે. એથી તે એવું માનવાને કારણે મળે છે કે તેને પ્રકાશ સદા સર્વત્ર ફેલાતેજ રહે છે. આવું હોવા છતાં કઈ જગ્યાએ દિવસ અને કઈ જગ્યાએ રાત્રી થવાનું કારણ શું છે? ખરેખર તે બધી જગ્યાએ દિવસ જ હવે જોઈએ. તે તેનું સમાધાન નીચે પ્રમાણે કરવામાં આવ્યું છે–સૂર્ય