________________
पमेयचन्द्रिका टी. श.३. उ.३ सू.४ जीवानां एजनादिक्रियानिरूपणम् ५६७ सुहुमो ईरियावहिया किरियाकज्जइ, सा पढमसमयवद्धपुट्टा, वितिय समयवेड्या, तइयसमयनिजरिया, सा बद्धा, पुट्टा, उदीरिया, वेइया, निजिण्णा, सेयकाले अकम्मं वावि भवइ, से तेणटेणं मंडियपुत्ता ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समियं नो एयइ; जाव-अंते अंतकिरिया भवइ ॥सू.४॥ ___छाया-तद्यथा नाम कश्चिद पुरुपः शुष्कं तृणहस्तकं जाततेजसि मक्षिपेत् , तन्नूनं मण्डितपुत्र ! तत् शुष्कं तृणहस्तकं जाततेजसि मक्षिप्तं सत् सिममेव मस्मस्यते ? हन्त, मस्मस्यते, तद्यथा नाम कश्चित् पुरुपः तप्ते अयस्कपाले उदकविन्दु पक्षिपेत् , तन्नूनं मण्डितपुत्र ! स उदकविन्दुः तप्ते अयस्कपाले प्रक्षिप्तः _ 'से जहानामए के पुरिसें' इत्यादि ।
मूत्रार्थ- जहानामए केइ पुरिसे सुकं तण हत्ययं) जैसे कोई पुरुप शुष्क घासके पूले को (जाय तेयंसि) अग्नि में (पक्खिवेजा) डाले तो (से) वह (गूर्ण) नियम से (मंडियपुत्ता) हे मंडितपुत्र । (सुक्के तणहत्थए) शुष्क घासका पूला (जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे) अग्निमें डालते हो (खिप्पामेव) शीघ्र (मसमसाविजइ) जाल जाता है क्या? (ता. मसमसोचिजइ) वह नियम से उसी समय जल जाता है । (से जहा नामए केई पुरिसे तत्तंसि अयकवलंसि) जैसे कोई. पुरुप तप्त लोहे के तवा ऊपर (उदयचिंपक्खिवेजा) जल विन्दु को डाले, तो (से) वह (णूण) नियमसे (मंडियपुत्ता) हे मंडितपुत्र । (उदयबिंदूं) उदकविंदुको (तत्तंसि अयकवलंसि) तप्ततवे ऊपर (पक्खित्ते
से जहानामए केई पुरिसे' Uruilt. . . - : : - सूत्राथ-(से जहानामए केइ पुरिसे ''मुक्कं तणहत्ययं) नेवी शते ४ पुरुष सूक्षा पासना जाने ( जाय तेयंसि) निभा (पक्खिवेज्जा) नामे तो ( से शृणं मंडियपुत्ता मुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पखित्ते समाणे) 3 भलितपुत्र, ते सू। धासना पूर्ण अनिभी नामता (खिप्पामेव ) तुरंत' सा onय छ नही? (हंता, मसमसाविज्जई) ते मे सभये अवश्य सजा तय छे. ( से जहा नामए केई पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि).या। आई पुरुष तपाdai.adiना ताप ५२ ( उदयविदं पक्खिवेज्जा) पीनुं रघु नाम,