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________________ ५८३-५९० ५९०-५९४ ४४ प्रमत्त और अपमच सयतोके स्वरूपका कथन ४५ लवण समुद्रके जल उपचय और अपचय (घटबढ) होनेमें फारणका निरूपण चौधा उदशा ४६ चतुर्थ उद्देशाका विपयनिरूपण ४७ क्रियाके विचित्र प्रकारके मानविशेषया निरूपण ४८ वैक्रियवायुमायके स्वरूपका निरूपण ४९ परिणमिक-चलाइफ मेघके स्वरूपका वर्णन ५० जीवके परलोकगमनके स्वरूपका कयन ५१ अनगारके विकुर्वणाके स्वरूपका निरूपण पाचवा उद्देशा ५२ पांचवे उदेशका सक्षिप्त विपय कयन ५३ विफुर्वणा विशेपवक्तव्यताका निस्पण ५४ अभियोग्य और आभियोगिय के स्वरूपका वर्णन ५९५-५९८ ५९८-६२४ ६१५-६२५ ६२६-६३४ ६३५-६४७ ६४७-६६६ ६६७-६६८ ६६९-६९७ ६९७-७१४ छहा उदशक ५५ छटे उद्देशकके विपयोका सक्षेपका फयन ७१५-७१६ ५६ मिथ्पादृष्टि अनगारके विशेष विकुर्वणाके स्वरूपका निरूपण ७१७-७३४ ५७ अमायि अनगारफी विकुर्वणा विशेपका वर्णन ७३५-७५३ ५८ चमरके आत्मरक्षक देवोंकी विशेपवक्तव्यता ७५४-७६० सातवा उशा ५९ सासघे उद्येशेका सतिसविपयविवरण ७६१-७६२ ६० शुक्रके सोमादि लोयपालके स्वरूपका निरूपण ७६२-७९६ ६१ यमनामक लोकपालके स्वरूपफा निरूपण ७९६-८१८ ६२ वरुणनामक लोकपाल्के स्वरूपका निरूपण ८१९-८३० ६३ वैश्रमण नामक लोकपालके स्वरूपका निरूपण ८३१-८५०
SR No.009313
Book TitleBhagwati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size37 MB
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