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भगeas
यावत् अन्तं करिष्यति । तदेवं भदन्त । तदेवं गदन्त !
छाया - गाथा - पष्ठाष्टमी मासस्तु अर्थमासो वर्षाणि अष्ट गण्मासाः | तिष्यकुरुदत्तयोः तपो-भक्त-परिज्ञा-पर्यायः ॥ १ ॥
देवलोक से आयुः क्षय होने के बाद यावत् कहाँ उत्पन्न होंगे ? | (गोग्रमा | महाविदेहे वासे मिज्झिद्दि-जाय अंत करेदिर) हे गौतम | महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध हो गे गावत् समस्त दुखों का अन्त करेगा । (सेवं भंते सेवं भंते ) इस प्रकार प्रभु के मुखारविन्द से सुनकर गौतम ने कहा- हे मदन्त । जैसा आप कहते हैं वह ऐसा ही है हे भदन्त वह ऐसा ही है।
( गाहाओ ) गाथाए
उट्टममासो अद्धमासी वासाई अट्ट छम्मासा ! तीसगकुरुदत्ताणं तवभत्तपरिष्णपरियाओ ||
तिष्यक श्रमण का तप छह और एकमासका अनशन है। कुछ दत्तश्रमण का तप अट्टम है और अर्धमास का अनशन है । तिष्यक श्रमण की साधुपर्याय आठ वर्षकी है और कुरुदत्त की साधुपर्याय छह मासकी है। इन सबका कथन तथा
(उच्चविमाणाणं पाऊभव पेच्छणा य संलावे, किञ्चि विवादुपती सणकुमारेय भवियच्वं)
थतां भ्यवीन तेथे। भ्यां उत्पन्न थथे ? (गोयमा 1) ङ गौतम ! ( महाविदेहे वासे सिज्झिहिड़ - जाव अंत करेहिइ) महाविंटेड क्षेत्रमां मनुष्य पर्यायां छे भुरीने सिद्धयट्ट पामशे. मने समस्त दुःणोनी संत सावशे. (सेवं भंते । सेवं भंते ।) હે ભદન્તુ! આપની વાત સાચી છે– આપની વાતમાં શંકાને સ્થાન નથી, એ પ્રમાણે કહીને ગૌતમ પેાતાને સ્થાને બેસી ગયા
(गाहाओ) गाथाओ - छट्टममासो अद्धमासो वासाईं अट्ठ छम्मासा | तीसगकुरुदत्ताणं तवभत्तपरिण्णपरियाओ ||
તિષ્યક શ્રમણે છડેની તપસ્યા અને એકમાસનાં અનશન કર્યાં હતાં. કુરુદત્ત શ્રમણે અર્જુમની તપસ્યા અને અર્ધામાસનાં અનશન કર્યાં હતાં તિષ્યક શ્રમણે આઠે વર્ષોની શ્રમણ પર્યાય પાળી હતી અને કુરુદત્તે છ માસની સાધુ પર્યાય પાળી હતી. એ મધા વિષયનું યન તથા
( उच्चत्तविमाणाणं पाउन्भवपेच्छणा य संलावे, किश्चि विवादुप्पत्ती सकुमारेय भवियन्त्र)