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प्रमेयचन्द्रिका टीका १३ उ १ प्रायविंगदेवऋदिविकुणाशक्तिनिरूपणम् ४१ अमरेन्टम्य, असुरराजस्य अग्रमहिप्यो देव्य किंमहर्दिकाः यावत्-क्यिच्च प्रभू विकृवितुम् ' गौतम ! चमरस्य असुरेन्द्रम्य, अमरराजस्य अग्रमडिप्यो महर्द्धिका', यावत्-महानुभागाः, तास्तत्र स्वेपा स्वेपा भवनाना स्वासा स्वासा सामानिक साहस्रीणाम् स्वासा स्वामा महतरिकागाम्, म्वासा स्वासा पर्पदाम् यावत्-एव मह दिमा अन्यद्यथा लोप पानाम् अपरिशेपम् ।तदेव भदन्त तदेव मदन्त ! इति॥४ ग्वय च ण पमू चिकचित्तप) हे भदन्त ! यदि असुरेन्द्र असुरराज चमरके लोकपालोंफी ऐसी पड़ी ऋद्धि है और वे इतनी पड़ी विक्रिया कर सकते है, तो (चमरस्म ण अमरिंदस्स असुररण्णो अग्ग महिमीभो देवीभो के महिद्रियाओ जान केवडय च ण प विकुव्यित्सए) असुरेन्द्र असुरराज चमर की जो अग्रमहिपिया है ये कितनी विक्रिया करने के लिये शक्ति शालिनी है ? (गोयमा) हे गौतम ! (चमरम्म ण असुरिंदस्म असुगरणो अग्गमहिसीओ महिड्डियाओ जाव माणुमागाओ) असुरेन्द्र असुरराज घमरकी जो अग्रमहिपिया
१.पात वही दिवाली है यावत् यहत प्रभावशाली है। ताप्राण तत्व साण माण भवसाण साण माग सामाणियसाहस्मीण, साण माण महत्तरियाण, माण माण परिसाण जाव एव महिष्याओं अण्ण जहा लोगपालाण अपरिसेस सेव भते! सेव भते । चि) वे १ अपनविमानों पर, अपने अपने हजार सामानिक देवों पर,
(भइण मते ! चमरस्स अमरिंदस्स असुररण्णो लोगपाला देवा एव महिडिया जाव एवइय च पमू विकुन्चित्तए) हेमन्त ! भभुरेन्द्र मभुर। यभरना aslai
આટલી બધી ઋદ્ધિવાળા છે અને આટલી બધી વેઠિયશક્તિ ધરાવે છે તે (चमरस्स ण अमरिंदस्स अमुररण्णो भग्गमडिसीओ देवीयो के महिडियाओ जाय काय च ण पभू विकृवित्तए) अमरेन्द्र मसु२५ अमरनी पीना ४ी દ્વિદિયી સ પન્ન છે. તેઓ કેવી વિકિય શકિત ધરાવે છે ?
तापमा!) गो1-1 (चमरस्त ण अमरिंदस्स असुररणो अग्गमसिीयो मदियाभो जाब महाणुमागाभो) अमरेन्द्र अस२२।०१ सभरना
प क्ष में मह , ति, यश सुभ भने प्रभावामी 2 (ताओ ण तत्थ साण साण मवणाण साण साण सामाणियसाहस्सीणं, साण साण महत्तरियाण, साण साण परिसाण मास पय महिरियाो -अण्णं जरा लोगपालाण अपरिसससव मसे । सेव मसे। ति) तेना त्या पोताना विमान २, त पाताना
સામાનિક દેવે પર, પિત પિતાની સહચરીરૂપ મહત્તરિકા જેવા પર અને
सर्वस