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भास्तीयो जल, सूर्यगतिः, पाल., आयुक्त, पिशाचानां पृष्ठा गौतम ! हो देवी आधिपत्य याश्व-विहरत'-वधयायालय महाकामा, सुस-प्रतिमा पूर्णपमध भमरपति मणि मद्रो, भीमय तहा मामीमः, विभा, किंपुरुषा, खल्ल सत्पुरुप , खलु तथा महापुरु, अतिकायो माहायो गीतरतिष गीतयशा , एते चानव्पन्नराणा देवानाम्, ज्योनिष्काणाम् देवानाम् नौ देतो पढमाआ) अप सूत्रफार दक्षिणममनपतिके इन्दी के प्रथम लाकपालों के नामों को प्रकट करनेके निमित्त करते है कि सोम, कालपाल, चिघ्र, प्रभ, तेज, रूप, जल, स्वरितगति, काल, आवर्ग, (पिसायफुमागण पुच्छा) हे भदन्त ! पिशायशुमारों के ऊपर अघि पतित्य करनेवाले कितने देव है ? (गोयमा) हे गौतम ! (दो दवा आहेषाच, जाव विहरति) पिशाचकुमारों के ऊपर अधिपतिस्त करने धाले यावत् दो दो देव हैं । (त जहा) घे इस प्रकारसे हैं (कासेप महाकाले, सुरुव-पढिरूघ पुण्णभद य, अमरचईमाणिभरे, भीमेय, तहा मराभोमे, किंनर किंपुरिसे खल सप्पुरिसे खलु तदा महापुरिसे महकाए महाकाए, गीयरई चेव, गीयजसे, एए धाणमतराम देवाल जोइसियाण देवाण दो देघा माहेषश्च जाप विहरति) काल एवं महाकाल, सुरूप एप प्रतिरूप पूर्णभद्र एव अमरपति मणिभद्र, भीम एव महामोम, किन्नर एघ कि पुरुष, सत्पुरुष एवं महापुरुष , अति काय एवं महाकाय, गीतरति एघ गीतयश ये सब वानव्यन्तर पढमायो) 64 R दि सपनपतिनाद्वान पर asharat नाम नीर પ્રમાણે બતાવે છે- સેમ કલપ, ચિત્ર, પ્રભ, તેજ ૨૫, જa, ત્વરિતગતિ, કાલ मने भापत (पिसायकुमाराण पुच्छा) सान्त! पियामा ५२ ४८ स्व. विपतित्व ! (पोयमा) से गोम(दो देवा देव जाम विरंति) नियति २नारा माने या छ (महा) तमना नाम अभाले छे- (फालेय महाकाय, सुरुष-पडिरूम पुण्णमरे य, अमरगई मणिमरे भीमे य, तहा महामीमे, विमर-किपुरिसे खल्ल सप्पुरिसे खछ वा महापुरिसे
काय-महाकाए, गीयरह बेम, गीपमसे, ए ए वाणमतराण देवाण मोइसियाण देवाण दो देवा आहेवा भाव हिरति) lanने मsuta .५ पने તિરૂપ, પૂજા અને અમરપતિ મહિલ, ભીમ અને મહાભીમ કિન્નર અને કિપરુષ, સત્ય અને મહાપુરુષ, અતિમય અને મહાકા, ગીતરતિ અને ગીતા એ બધા