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ममेयचन्द्रिका टीका श ३ उ ८५ १ भवनपस्यादिदेवस्वरूपनिरूपणम् ८५७ अमितचाइना, र्यगति , सिप्रगति , सिंहगति , सिंहविक्रमगति', वायुकुमारा णाम्-वेलम्प., प्रभञ्जन , पाला, महाकाल', अञ्जन , रिष्ट , स्तनितकुमाराणाम् घोप , महाघोप , पावर्त , व्यावर्स , नन्याय , महानन्धावत', पव भणित म्यम्, यथा-ममुरकुमारा , सोमः, पालपाल , चित्र', प्रम', तेज , रूत , कुमागण अमियगई, भमियवाणे, तुरियगई, खिप्पगई, सीहगई, सीरविकमगई) दिशाकुमार देवोंके ऊपर अधिपतित्व करनेवाले अमितगति और अमितवारन तथा इनके लोकपाल स्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहगति और सिंघविक्रमगमि ये दश है । (वाउकुमाराण वेलंप, पभजन, काल, महाफाल, मजणरिह) वायुकुमार देवों के ऊपर अधिपतित्व करनेवाठे वेलप और प्रमजन तथा इनके लोकपाल, काल, महाकाल, भजन और रिष्ट है। (धणियकुमाराण घाममहाघोम, मावत्त, वियावच, नदियावत्त, महानदियावत्त एघ भाणियव्य जहा असुरकुमारा) स्तनितकमारोके ऊपर अधिपतित्व करनेवाले योप,
और महाघोप, तथा इनके लोपाल आयर्न, व्यापत, नन्दिकायत, एव महानन्दिकावरी' पे दश देश है, इस प्रकारसे समस्त फथन भसुरकुमारोंकी तरहसे ही जानना चाहिये । (सोमेय कालथाले, चित्त, पम, तेओ सहरूवे घेव, जल, सहतुरियगट या फाल, आवत्त
दिसाकुमाराण अमियगा, अमियवादणे, तुरियगर, विप्पगइ, सीगइ, सोहविकमग) हिमाश ५. नीना वा अधिपति
- [J અમિતગતિ, [૨] અમિતવાહન [૩ થી ૫) તથા તેમના ચાર ચાર લોકપાલે– ત્વરિતગતિ ક્ષિપ્રગતિ, સિંહગતિ અને સિંહવિક્રમગતિ
(वाउकुमाराण वेलब, प्रभजन, काल, महाकाल, अजणरिह) वायुभार। પર નીચેના દસ દેવોનું અધિપતિત્વ ખાદિ ચાલે છે- [1] વેલ બ, [૨] પ્રભજન કિ મી ૧૦] તેમના ચાર ચાર કપાલ- કાલ, મહાકાલ, અજન અને વિઝ. ___(पणियकुमाराण घोस, महाघोस - भापत्त, वियावस, नदियावत्त, मानदियायच एव माणियच जग असुरकुमारा) नितमा ५२ नायना ૧૦ દેવો અધિપતિ વ આદિ કરે છે- [૧] ઘોષ, ૨) મહાદેષ, 2િ થી ૧૦) અને તેમને ચાર ચાર લોક્યા- આવત્ત, પાવત્ત નિકાવત્ત, અને મહાનનિકાप मा प्रभाव सभात :यन भभुरभुभाराना ४यन प्रभाव अभई (सोमे य पाख्वाले, चिच, पम, तेमो, सहरूवेचेव, जन, तुदरियगड या पाल आवत्त