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८४४ "घुण्णवासाइवा' चूर्ण इति पा, पिष्ट सुगन्धिद्रम्प यस्तार 'गपवासाइना' गन्धवर्या इति या, गभा कोठाटाइपरतेषां पा 'यस्थवासाइवा' वस्त्रो इति वा, विरसमधुतरममकमवण वर्मा, मुपलाधारनिरवधिमजलयर्पण तिरिति उमयोमेंद
अयोक्तराष्टिमार-'हिरण्णषुद्री' बा, हिरण्य पृष्टि ति घा, 'सबमाडीमा सुवर्ण टिः इति वा, 'रगणयुट्टीड वा' रत्नदृष्टि इति वा, पारशीना, समष्टिः इति वा 'आमरणमुट्ठीइवा' आमरणदृष्टि इति वा पत्ताहीमा' पाष्टिः इति पा, 'पुप्फवृष्टीदवा' पुष्परष्टि इति था, 'फसबुट्ठीदवा' फवृष्टि इति या, 'वीमवुढीवा' पीनदृष्टिः इति वा, 'मत्सबुट्टीच्या' मारा इति घा, 'यण्णपुष्ठी इत्रा, पर्णष्टिः इति वा, 'चुणबुडी इमा' पूर्णहिः इति चा गंधयुट्ठीइवा गन्पष्टिः इसि था, 'वस्यवुट्टीमा' वसष्टि इति वा, घासाइ वा' मिष्टसुगधित द्रव्यरूप पूर्णकी वर्षा, गंधवासाइ वा' कोष्ठपुटपाफ आदिरूप गघकी , 'धत्यवासाइ वा, वसोकी वर्षा (विरल २रूपमें छोटी२ दौका परसना इसका नाम वर्षा है और मूसलाधार से पानीका परसना इसका नाम वृष्टि है। यही वर्षा और घृष्टिमें मेद है) 'हिरण्णषुट्ठीह वा' हिरण्ण बांदीकी दृष्टि, 'सुषण्णधुढीइ था' सुवर्णकी वृष्टि रयणपुट्टीइ वा रस्नोकी ष्टि, 'वा रसुट्टीइ वा' हीराकी पृष्टी, 'भाभरणबुट्टीइ वा, भामरणकी पृष्टी, ' पट्टीइ वा' पत्रवृष्टि, पुष्पही था' पुष्पों की पृष्टी, 'फसडीह वा' फलोंकी वृष्टि, 'वीयपुट्टीइ पा' पीजकी पृष्टि, 'मल्लयडीह पा' माला
ओंकी वृष्टि, 'वण्णपुट्ठीइ षा' चन्दनकी वृष्टि, 'चुण्णबढीइ वा पूर्णकी वृष्ठि, 'गघयुटीइ वा' गधकी वृष्टि, 'यस्थपुट्टीइ बा, पनकी दृष्टि,
सुगल्ति दयनी 'गवासा वागण्यात बना , Hariपानी l (पाना नाना नाना क्षय पे मासमा २सा પણ હાય તો તેને વર્ષો તે છે મૂસળધાર વરસાદને વષ્ટિ કહે છે ષ્ટિ અને વરસાદ Tadaa) "हिरणपुदीइवा' All , मनपटी पा' सानाना पर 'यिनीहवा' रत्नानी ale, 'वहरुट्ठीइ या' सनी 4 'भामरणपट्टी बा' भावना हिं'पचयुट्टीइ पा' पाननी ale, 'पुष्पपीहा'-पानी फलदीपा' वानी sle, 'बीयपुढीइ षा' नीट 'मल्हपाठी वा भागनानी पह, 'वष्णवटीइया' अन्हनना चार, 'चुण्णवही पानी , पाटीपासुनधिER व्या टि, 'अस्पदी का पानी re ' 'मायणपुडीडवा'